संगड़ाह, 26 नवम्बर : हिमाचल प्रदेश के पारंपरिक पर्वो व रीति रिवाजों का हमारे वेद शास्त्रों व ग्रथों में बताए गए त्यौहारों एवं पर्वों का गहरा सबन्ध है। इसका उदाहरण देवोत्थान एकादशी यानी देवठन पर्व है। इस दौरान ग्रामीण अपने कुल देवता के मूर्तियों की शुद्धि करते है। इसी कड़ी में सराह से बिजट महाराज को चूड़धार में स्नान हेतु लाया गया। अपने कुल देव के साथ बर्फबारी के बीच जातर चूड़धार पहुंची। शाही स्नान में देव मूर्ति पर मंत्रोच्चारण के साथ पवित्र जल गालू डालकर मूर्तियों की शुद्धि की जाती है।
पूजा अर्चना व बिजट महाराज को शाही स्नान कर वापस अपने स्थान सराह लौट गए। चूड़धार में बर्फबारी का सिलसिला शुरू हो गया है। इसके बाबजूद भी दैवीय शक्ति के आगे जातर लगी बर्फबारी में अपने देवता के साथ सराह लौट गए।