शिमला, 08 नवंबर : प्रदेश सरकार द्वारा निजी स्कूलों व संस्थानों को पूरी फीस लेने के लिए अधिकृत करने के निर्णय के खिलाफ छात्र अभिभावक मंच 9 नवंबर को शिक्षा निदेशालय शिमला का घेराव करेगा। मंच ने प्रदेश सरकार से मांग की है कि इस निर्णय को तुरंत वापिस लिया जाए व निजी स्कूलों द्वारा छात्रों व अभिभावकों की पूर्ण फीस वसूली में की जा रही मानसिक प्रताड़ना पर रोक लगाई जाए। मंच के संयोजक विजेंद्र मेहरा ने पूर्ण फीस वसूली पर कैबिनेट के निर्णय को बेहद चौंकाने वाला छात्र व अभिभावक विरोधी निर्णय बताया है।
उन्होंने रविवार को कहा कि इस निर्णय के आने के बाद निजी स्कूलों ने छात्रों व अभिभावकों को मानसिक तौर पर प्रताड़ित करना शुरू कर दिया है। निजी स्कूलों व संस्थानों ने दोबारा से छात्रों व अभिभावकों को पूर्ण फीस जमा करने के लिए मोबाइल मैसेज भेजना शुरू कर दिए हैं। इन मैसेज में उन्हें डराया धमकाया जा रहा है कि अगर पूर्ण फीस जमा न की गई तो छात्रों को न केवल संस्थानों से बाहर कर दिया जाएगा। अपितु उन्हें परीक्षाओं में भी नहीं बैठने दिया जाएगा। ऐसे अनेकों उदाहरण प्रदेश में देखने को मिल रहे हैं।
विजेंद्र मेहरा ने माननीय उच्च न्यायालय से अपील की है कि वह निजी स्कूलों द्वारा पूर्ण फीस वसूली के मामले पर हस्तक्षेप करके प्रदेश सरकार पर कार्रवाई करे। प्रदेश सरकार उच्च न्यायालय के निर्णय की गलत व्याख्या कर रही है व अपनी सुविधा अनुसार माननीय उच्च न्यायालय के नाम पर निजी स्कूलों को छूट दे रही है। यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है। उन्होंने कहा है कि प्रदेश सरकार द्वारा आज तक माननीय उच्च न्यायालय द्वारा 27 अप्रैल 2016 को निजी स्कूलों की लूट को रोकने के संदर्भ में दिए गए ऐतिहासिक निर्णय को लागू नहीं किया गया है। यह न्यायालय के आदेशों की अवहेलना है। उन्होंने हैरानी व्यक्त की है कि उच्च न्यायालय के साफ-साफ शब्दों में दिए गए वर्ष 2016 के निर्णय को प्रदेश सरकार लागू नहीं करती है व वर्ष 2020 के निर्णय को अपनी ही सुविधा अनुसार पुनर्परिभाषित करके निजी स्कूलों को फायदा पहुंचा रही है।