हमीरपुर, 08 नवंबर : कोरोना (Corona) काल में जहां देश के सभी हिस्सों में कंपनियां (Companies) बंद हो गई, जिन्हे कर्मचारियों (Employees) को सैलरी(Salary) देने के लिए भी लाले पड़ गए थे। कर्मचारियों को भी अपना वेतन नहीं मिल पाया। आप यकीन नहीं करेंगे कि हिमाचल में एक निजी स्कूल के मालिक ने घर- घर जाकर इस कारण अचार बेचा ताकि वो अपने कर्मचारियों का वेतन दे सके।
हमीरपुर के सलोनी कस्बे के साथ लगते धनेड में एक निजी स्कूल चलाने वाले प्रताप सिंह वर्मा ने कोरोना काल की त्रासदी में भी अपने स्कूल के स्टाफ को पूरा वेतन दिया। लॉकडाउन के दौरान स्कूल बंद हो गए। अध्यापकों को घरों में बैठना पड़ा। ऐसे समय में प्रताप सिंह वर्मा ने कई सालों से स्कूल में पढ़ा रहे अध्यापकों को वेतन (Salary) देना मुश्किल हो गया। उन्होंने हिम्मत (Courage) नहीं हारी। इस दौरान टाहलीवाल ऊना से अचार(Pickle) लाकर लोगों को घर-घर जाकर बेचना शुरू किया।
अचार बेचने(Pickle Selling) से जो लाभ कमाया, उसे अपने स्टाफ की सैलरी (Salary) के लिए खर्च किया। प्रताप सिंह वर्मा धनेड में ट्विंकल स्टार पब्लिक स्कूल के एमडी है। उनके स्कूल में करीब 400 विद्यार्थी और 14 शिक्षक हैं। प्रताप सिंह वर्मा ने कहा कि जब स्कूलों में दाखिले (Admissions) नहीं हुए तो उन्होंने अपने स्टाफ को सैलरी देने के लिए आपदा (Disaster) में अवसर (Opportunity) को खोजा। अचार हर घर में प्रयोग किया जाता है। उन्होंने अचार मंगवाकर लोगों के घर-घर पहुंचाया। इससे जो लाभ हुआ, उसे अपने कर्मचारियों के लिए खर्च किया। उन्होंने कहा कि विकट से विकट परिस्थितियों में भी व्यक्ति को अपना हौसला नहीं खोना चाहिए तथा हमेशा हिम्मत से काम लेकर आगे बढ़ना चाहिए।
प्रताप सिंह वर्मा ने एमबीएम न्यूज़ नेटवर्क के साथ बातचीत करते हुए बताया कि उन्होंने कर्मचारियों का साथ इस आपदा की घड़ी में कभी नहीं छोड़ा। उन्होंने बताया कि वह 1992 से स्कूल चला रहे हैं और कई अध्यापक उनके साथ शुरू से ही जुड़े हुए हैं। उन्होंने बताया कि अध्यापक को उनके बीच एक परिवार का रिश्ता (Relation) बन चुका है, उन्होंने बताया कि जब मार्च में लॉकडाउन (Lockdown) लगा तो उनके बीच उनके सामने एक ऐसी समस्या खड़ी हो गई कि अब वह स्कूल स्टाफ को सैलरी कैसे देंगे। एक तरफ स्कूल बंद था और एक तरफ कर्मचारियों (Employees) को भी सैलरी देनी थी दूसरी तरफ परिवार को भी देखना था। उन्होंने बताया कि उनके मन में कई ख्याल आए। लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी और अचार (Pickle) का बिजनेस (Business) शुरू करने का फैसला किया।
प्रताप सिंह बताते हैं कि उन्होंने घर पर भी कई तरह के अचार बनाए और ऊना से भी अचार खरीदे और घर-घर जाकर उन्हें बेचा। उन्होंने बताया कि जिला हमीरपुर के अलावा बिलासपुर, कांगड़ा तक उन्होंने आचार की सप्लाई की। अचार भेजकर उन्हें करीब डेढ़ लाख का मुनाफा हुआ। जिस कारण उन्होंने अपने स्टाफ को सैलरी दी। प्रताप सिंह ने बताया कि उन्होंने अपनी जिंदगी (Life) में कभी यह नहीं सोचा था कि ऐसी भी घड़ी आएगी की उनके सामने इतनी बड़ी मुसीबत खड़ी हो जाएगी। लेकिन इस घड़ी में परिवार के सदस्यों (Members) ने भी उनका खूब साथ दिया। कुल मिलाकर ये भी साबित होता है कि शिक्षा (Education) के निजी क्षेत्र में सबका लक्ष्य व्यवसाय नहीं है।