शिमला, 29 अक्तूबर : यह कैसा पंचायत आरक्षण रोस्टर है कि 57 प्रतिशत अनुसूचित जाति की आबादी होेने के बावजूद भी पिछले 46 वर्षों में शिमला जिला की पीरन पंचायत से अनुसूचित जाति (Schedule Caste) पुरूष वर्ग को प्रधान बनने का मौका नहीं मिल पाया है, जिससे प्रधान पद के लिए दावेदारी रखने वाले चाहवान युवाओं में मायूसी छाई हुई है। गौर रहे कि वर्ष 2011 की जनगणना के आधार पर पीरन की आबादी 1175 आंकी गई है, जिसमें 668 अनुसूचित जाति के शामिल हैं अर्थात 57 प्रतिशत आबादी (Population) एससी वर्ग (Schedule caste) की है। हालांकि अनुसूचित जाति वर्ग से दो बार महिलाओं को अवश्य प्रधान बनने का मौका (Opportunity) मिला है। एससी वर्ग के युवाओं का कहना है कि रोस्टर बनाते समय राजनैतिक (Political) पक्षपात (favoritism) किया जाता रहा है।
वर्ष 1974 में कोटी पंचायत से पृथक होकर पीरन पंचायत बनाई गई थी । जिसके प्रथम प्रधान बालक राम निर्मोही 23 जनवरी 1974 से 23 जनवरी 1979 तक इस पद बने रहे। इसके उपरांत वर्ष 1979 से 1995 तक अर्थात तीन टेन्योर में 16 वर्षों तक दयाराम वर्मा प्रधान पद पर आसीन रहे । इसी प्रकार वर्ष 1995 में पहली बार एससी महिला वर्ग से गदंबो देवी वर्ष 2000 तक, सामान्य पुरूष वर्ग से मोहर सिंह ठाकुर वर्ष 2005 तक तथा महिला सामान्य वर्ग से कमलेश ठाकुर वर्ष 2010 तक इस पद (Post) पर आसीन रही। तदोपरांत एससी महिला वर्ग से सुषमा कश्यप वर्ष तक 2015 और वर्तमान प्रधान अतर सिंह ठाकुर सामान्य वर्ग से प्रधान चुने गए। लिहाजा वर्ष 1974 से लेकर आज तक अनुसूचित जाति पुरूष वर्ग प्रधान बनने की चाह में अपनी पारी (Turn) का इंतजार करते रहे है, पंरतु हर बार पंचायतीराज रोस्टर (Roster) का जिन्न कुछ ओर ही निकलता रहा।
नाम न छापने की शर्त पर एससी वर्ग के युवाओं का कहना है कि यदि इस बार उन्हें मौका नहीं दिया गया तो वह अवश्य कोर्ट (Court) का दरवाजा खटखटाएंगे। अनेक बुद्धिजीवी वर्ग का कहना है कि रोस्टर में हर वर्ग को मौका दिया जाना चाहिए और राजनैतिक दबाव (Political Pressure) के चलते रोस्टर में कोई छेड़छाड़ नहीं की जानी चाहिए। जिला पंचायत अधिकारी शिमला विजय ब्रागटा ने बताया कि पंचायतीराज चुनाव (Panchayti Raj) के रोस्टर को जारी करने के लिए सरकार (Government) द्वारा फार्मूला (Formula) बनाया गया है जिसके आधार पर सीटों का आरक्षण (Reservation) इत्यादि किया जाता है।