चौपाल, 23 अक्टूबर : ज़िला के चौपाल उपमण्डल में आज भी सैकड़ों साल पहले ईजाद की गई एम्बुलेंस (Ambulance) की सेवाएं बदस्तूर जारी है। चार ड्राईवर (Driver) के सहारे चलने वाली इस एम्बुलेंस को सड़क, ईंधन और मेंटेनेंस (Fuel and maintenance) की भी जरुरत नहीं है। देखें, कैसे सरकार की मदद से इक्कीसवीं सदी में भी सैकड़ों वर्ष पहले ईजाद की गई इस दुर्लभ एंबुलेंस ने अपना वजूद नहीं खोया है।
ये तस्वीरें राजधानी शिमला से महज 100 किलोमीटर दूर चौपाल उपमण्डल की है। जहां इक्कीसवीं सदी में भी मरीजों को अस्पताल पहुँचाने के लिए सैकड़ों वर्ष पहले ईजाद की गई एम्बुलेंस की सेवाएं लेनी पड़ती है। इस दुर्लभ एंबुलेंस को चलाने के लिए 4 बेहद प्रशिक्षित ड्राईवर (Trained driver) की जरुरत होती है।
माटल पंचायत के क्यार, क्यारी, कफरौना, चेंटाडा, खेड़ा व सिक्का सहित कई गांव के लोग आज भी सड़क सुविधा को तरस रहे है। ऐसे में गांव से किसी बीमार इंसान को उपचार के लिए अस्पताल ले जाने के लिए ग्रामीणों (Villagers) को इसी लोकल एंबुलेंस का सहारा लेना पड़ता है। फिर चाहे वो गर्भवती महिलाएं (Pregnant women) हो या किसी अन्य गंभीर बीमारी से पीड़ित व्यक्ति…यहाँ इसी लोकल एंबुलेंस के सहारे ग्रामीणों को जिंदगी की जंग लड़नी पड़ती है।
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शुक्रवार को भी इस दुर्लभ एंबुलेंस को माटल पंचायत के ग्रामीणों ने उस वक्त पैदल पगडंडी पर उतारा ये जब कफरौना निवासी राजेश को घास काटने वाली मशीन से पैर में गहरी चोट लग गई। राजेश को उसके चचेरे भाई हेमराज ने अन्य ग्रामीणों किरण कुमार, मनोज कुमार, राकेश ठाकुर, संजीव ठाकुर, महेंद्र सिंह, दिनेश कुमार एवं जगत सिंह ने दो डंडों में बंधी चादर में रख कर पीठ पर उठा कर अढ़ाई घंटे का सफर तय करने के बाद सड़क तक पंहुचाया। उक्त गांव के लोगों का आरोप है कि वह बीते तीस साल से इन गांव को सड़क से जोड़ने की गुहार लगा रहे हैं परन्तु नेताओं को सिर्फ चुनाव के समय ही इन गांव की याद आती है।
लिहाजा, चौपाल के विधायक बलवीर सिंह वर्मा का ये दावा है कि उनके विधानसभा क्षेत्र में कोई भी गांव और घर ऐसा नहीं बचा है, जहां पक्की सड़क न पहुंचाई गई हो। ऐसे में शायद सरकार और स्थानीय भाजपा विधायक इन गांवों को इसलिए सड़क सुविधा से नहीं जोड़ रहे है, ताकि सैकड़ों वर्ष पहले ईजाद की गई ये एंबुलेंस अपना वजूद न खो दे।