चौपाल, 14 अक्तूबर : पंचायती राज में 33 फीसदी आरक्षण के साथ महिला सशक्तिकरण (women empowerment) के सरकारी दावे शिमला ज़िला के चौपाल विकास खंड की ग्राम पंचायत टिकरी न्योल में हवा हवाई होते नजर आते है। इस पंचायत में आज तक प्रधान पद महिला के लिए आरक्षित (Reserved) न होने की वजह से पंचायती राज शुरू होने के करीब छह दशक तक एक बार भी महिला प्रधान नहीं बन पाई है। टिकरी न्योल पंचायत संभवतः प्रदेश की इकलौती ऐसी ग्राम पंचायत है। जिसे बीते 58 वर्षों में एक मर्तबा भी महिला वर्ग के लिए आरक्षित नहीं किया गया है।
यही नहीं, इस पंचायत को 1962 में पंचायती राज शुरू होने के बाद मात्र दो बार ही अनुसूचित जाति वर्ग के लिए आरक्षित किया गया है। इन 58 सालों में टिकरी पंचायत में आठ बार सामान्य वर्ग के पुरुष एवं दो बार अनुसूचित जाति वर्ग के पुरुष प्रधान रह चुके है। करीब अढ़ाई दशक पहले टिकरी पंचायत से टूट कर दो अन्य पंचायतें धन्नत व चइंजन बनाई गई थी। टिकरी पंचायत की महिलाओं का सबसे बड़ा दर्द यही है कि इस पंचायत से अलग हुई दो अन्य पंचायतों में दो से तीन बार महिलाओं को मौक़ा मिल चुका है, जबकि मूल पंचायत टिकरी में आज तक महिलाओं को प्रधान बनने का मौका नहीं मिल पाया है।
बता दें कि टिकरी से अलग हुई धनत पंचायत 2006 और 2011 में दो बार, चइंजन पंचायत में 2001,2006 और 2016 में तीन बार प्रधान पद हेतु महिलाओं के लिए आरक्षित हो चुकी है। इसके आलावा टिकरी की एक अन्य पड़ौसी पंचायत खूँद न्योल भी बीते चार चुनावों में दो बार महिलाओं के लिए आरक्षित रह चुकी है। उपरोक्त परिस्थितियों को देखते हुए इस पंचायत का प्रतिनिधित्व की इच्छा रखने वाली महिलाओं का दर्द सहज ही समझा जा सकता है। टिकरी पंचायत की इस समय कुल जनसंख्या 1407 है, जिनमे से महिलाओं की संख्या 651 यानी 46 फीसदी से अधिक है। जोकि महिला आरक्षण के लिए पर्याप्त है। चौपाल भाजपा महिला मोर्चा उपाध्यक्ष शीला राथटा ने मुख्यमंत्री जय राम ठाकुर एवं पंचायती राज मंत्री वीरेंद्र कंवर से मांग की है कि टिकरी न्योल पंचायत को प्रधान पद हेतु महिला वर्ग के लिए आरक्षित किया जाए, ताकि इस पंचायत में भी किसी महिला को प्रतिनिधित्व करने का मौक़ा मिल सके।