ऊना, 22 सितंबर : कोरोना महामारी महज जानलेवा ही नहीं, बल्कि सामाजिक ताना-बाना भी छिन्न-भिन्न कर रही है। कोरोना पॉजिटिव आने पर पराए तो पराए बल्कि अपने भी मिलने से परहेज कर रहे हैं। ऊपर से अब स्वास्थ्य विभाग (health Department) की नई गाइडलाइन ने कोरोना पॉजिटिव मरीजों को ऊहापोह की स्थिति में डाल दिया है। क्योंकि पॉजिटिव ( positive) आने पर भी अब आपका फ़ॉलोअप सैंपल जांच के लिए नहीं भेजा जाएगा। यानी आपका आइसोलेशन पीरियड पूरा होने पर यह मान लिया जाएगा कि अब आप कोरोना पॉजिटिव से नेगेटिव हो गए हैं। अब अगर इससे पहले लिए जा रहे फ़ॉलोअप सैंपल (Follow up sample) पर नजर दौड़ाएं तो कई मरीज दूसरे या तीसरे फ़ॉलोअप सैंपल तक पॉजिटिव पाए गए हैं। यही वजह है कि आइसोलेशन पीरियड (Isolation period) पूरा कर चुके कई मरीज अपने पारिवारिक सदस्यों के नजदीक जाने से भी डर रहे हैं।
स्वास्थ्य विभाग ने बेशक फ़ॉलोअप सैंपल न लेने की गाइडलाइन जारी कर कोरोना टैस्ट (test) पर होने वाले सरकारी खर्चे को काफी हद तक बचा लिया हो, लेकिन फ़ॉलोअप सैंपल न होने से कोरोना की चपेट में आए मरीज संतुष्ट नहीं हो पा रहे हैं। जाहिर है कि मानसिक रूप से आप तभी संतुष्ट हो सकते हैं जब फ़ॉलोअप टैस्ट रिपोर्ट आपके सामने हो। यही वजह है कि कोरोना को मात दे चुके कई लोग फ़ॉलोअप सैंपल न होने के चलते अभी भी डर-डर कर जी रहे हैैं तो सामाजिक रूप से भी उन्हें अभी तक स्वीकार नहीं किया जा रहा। ऐसे मरीजों से लोग लगातार दूरी बना कर रख रहे हैं, जिससे मरीज को मानसिक यातना झेलनी पड़ रही है। इससे पहले कोरोना पॉजिटिव मरीज कोविड केयर सेंटर में रखे जाते थे और उन्हें तब तक बाहर नहीं आने दिया जाता था, जब तक उनकी रिपोर्ट नेगेटिव न आ जाए।
अब होम आइसोलेट किए गए मरीज बेशक 10 दिन बाद नेगेटिव हो रहे हों, लेकिन कोई पुष्टि न होने से वे मनोवैज्ञानिक दवाब महसूस कर रहे हैं। स्वास्थ्य विभाग की नई गाइडलाइन के अनुसार बेशक अब सैंपलिंग प्रक्रिया को घटा दिया गया है और अब सिर्फ उन्हीं लोगों के सैंपल लिए जा रहे हैं, जिनमें फ्लू जैसे लक्षण हैं। लेकिन कोरोना की दहशत को देखते हुए आम जनमानस की मांग है कि कम से कम उन मरीजों के फ़ॉलोअप सैंपल जरूर लिए जाएं जो कोरोना पॉजिटिव पाए गए हैं। ताकि नेगेटिव (Negative) आ चुके ऐसे लोगों का सामाजिक बहिष्कार न हो और वे मानसिक रूप से भी तनाव मुक्त हो सकें। उधर खंड चिकित्सा अधिकारी गगरेट डा. एसके वर्मा का कहना है कि नई गाइडलाइन के अनुसार अब फ़ॉलोअप सैंपल नहीं लिए जाएंगे।