धर्मशाला, 06 सितंबर : जिजिविषा अभियान के तहत मेधावी बेटियों (Meritorious girls) को जिला प्रशासन की ओर से आईआईटी (IIT), जेईई (JEEE) और नीट (NEET) प्रतियोगी परीक्षाओं के दो वर्ष की निशुल्क कोचिंग (Free coaching) सुविधा प्रदान की जाएगी। इस के लिए 26 मेधावी छात्राओं का चयन किया गया है। यह सभी छात्राएं सरकारी शैक्षणिक संस्थानों (educational establishments) से संबंधित हैं।
यह जानकारी उपायुक्त राकेश प्रजापति ने शनिवार को डीआरडीए (DRDA) सभागार में चयनित छात्राओं के साथ आयोजित इंटरेक्शन कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए दी। उन्होंने कहा कि जिला प्रशासन द्वारा बेटी पढ़ाओ बेटी बचाओ अभियान के तहत जिजिविषा कार्यक्रम के तहत बेटियों को निशुल्क कोचिंग देने का प्रावधान भी किया गया है। इस के लिए दो अगस्त 2020 को ऑनलाइन स्क्रीनिंग टेस्ट भी आयोजित किया था। जिसमें जमा एक की मेडिकल संकाय से 13 तथा नान मेडिकल संकाय 13 छात्राओं को सिलेक्ट किया गया है।
उपायुक्त ने बताया कि इन मेधावी छात्राओं को वेब क्लासिज के माध्यम से कोचिंग की सुविधा उपलब्ध करवाई जा रही है। नियमित तौर पर इनकी ऑनलाइन कक्षाएं लगाने का शेडयूल भी निर्धारित किया गया है, जिसमें बच्चों की प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी का आकलन भी समय समय पर किया जाएगा। उन्होंने कहा कि इन मेधावी छात्राओं के मार्गदर्शन के लिए शिक्षा विभाग के अधिकारियों को भी आवश्यक दिशा- निर्देश दिए गए हैं।
उपायुक्त ने मेधावी छात्राओं का मार्गदर्शन करते हुए कहा कि बच्चों के कैरियर में दस जमा एक तथा जमा दो की पढ़ाई अत्यंत महत्वपूर्ण स्थान रखती है। यहीं से भविष्य का निर्माण भी सुनिश्चित होता है। उन्होंने कहा कि कांगड़ा जिला प्रशासन द्वारा मेधावी छात्राओं को आगे बढ़ने के लिए बेहतर अवसर उपलब्ध करवाने की दृष्टि से ही यह निशुल्क कोचिंग कार्यक्रम आरंभ किया गया है।
उन्होंने कहा कि बेटी बचाओ- बेटी पढ़ाओ योजना को और प्रबल और गतिशील बनाने के लिए कांगड़ा जिला प्रशासन द्वारा जिजीविषा अभियान आरंभ करने की पहल की है। कांगड़ा की बेटियों को भविष्य में और अधिक सुविधाएं प्रदान करने के लिए यह कदम उठाया है, ताकि कांगड़ा की बेटियां अपना भविष्य संवार सकें और दुनिया के साथ कदम से कदम मिलाकर चलने में और अधिक सक्षम बन सकें।
उन्होंने कहा कि जिजीविषा का अर्थ है जीने की प्रबल चाह। इसी सोच के साथ कांगड़ा में जिजीविषा के अंतर्गत बेटियों के लिए नए कार्यक्रम आरंभ किया गया है ताकि समाज में बेटियों के प्रति नकारात्मक सोच को बदला जा सके। 2011 की जनगणना के अनुसार शिशु लिंग अनुपात कांगड़ा में एक हजार बेटों के मुकाबले 876 बेटियां है अगर इसी तरह से लिंग अनुपात घटता गया तो बेटियां असुरक्षित हो जाएंगी। जिला में बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ अभियान के अंतर्गत शिशु लिंग अनुपात को सुधारने के लिए अनेक कदम उठाए जा रहे हैं। इसी कड़ी में मेधावी छात्राओं को प्रतियोगी परीक्षाओं की निशुल्क कोचिंग जिला प्रशासन का एक नवीन प्रयास है।
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