नाहन, 04 सितंबर : ऐतिहासिक शहर (Historical city) को लेकर दो कहावतें (Adages) काफी मशहूर रही। आए एक दिन को तो रहे महीना, ये कहावत तो पहले ही अतीत हो चुकी है। अब जैसे-तैसे एक बात बरकरार थी। वो ये कि बारिश चाहे जितनी भी हो, लेकिन पानी सडक़ों पर एक पल भी नहीं ठहरता था। शिवालिक पहाड़ी (Shivalik Range) की करीब 3 हजार फीट की ऊंचाई पर बसे नाहन शहर की खासियत रही है कि बारिश का पानी पलों में ही बहकर निचले इलाकों में बह रहे खड्डों व मारकंडा नदी में समा जाता था। लेकिन अब ये कहावत भी अतीत होती नजर आ रही है, क्योंकि शहर की कई जगहों पर तालाब बन जाते हैं।
अब आप सोच रहे होंगे कि ऐसा क्या हो गया। दरअसल, मोटी राशि खर्च कर मालरोड पर कच्चा टैंक तक ऐसी घटिया इंटर लॉकिंग टाइलें (Poor Inter Locking Tiles) बिछा दी गई हैं, जिसका कोई लैवल नहीं है। यही कारण है कि आधे घंटे की बारिश में ही तालाब बन जाता है।
शर्मनाक बात यह है कि ऐसी स्थिति काफी अरसे से पैदा हो रही है। बावजूद इसके लोक निर्माण विभाग(Public Works Department) द्वारा कोई ठोस कदम नहीं उठाया जा रहा। बता दें कि दिल्ली गेट-गुन्नुघाट-बस स्टैंड-वाल्मीकि बस्ती से गुजरने वाला मार्ग सर्कुलर रोड (Circular Road) के तौर पर पहचाना जाता है, जो लोक निर्माण विभाग (PWD) के अधीन है। सडक़ें पहले से ही संकीर्ण हैं। इस पर दोनों तरफ वाहनों की लंबी कतारें पहले ही मुश्किलें खड़ी करती हैं। अब सडक़ों पर बनते तालाब शहर के वैभव को ग्रहण लगा रहे हैं।
एमबीएम न्यूज नेटवर्क को वीरवार की लोगों ने काफी तस्वीरें प्रेषित की। इसी बीच लोक निर्माण विभाग के अधिशाषी अभियंता (Executive Engineer) वीके अग्रवाल ने कहा कि वो समस्या से वाकिफ हैं। इंटरलॉक टाइलों को बिछाने का फैसला उनके कार्यभार संभालने से पहले लिया गया है। जहां रिपेयरिंग (Repairing) संभव है, वहां कार्य किया जा रहा है। उनका कहना था कि ऐसा भी प्रतीत हो रहा है कि सीवरेज (Sewerage) बिछाने के दौरान भी सडक़ें खोदी जाएंगी। उसी के मद्देनजर आगे की प्लानिंग की जा रही है।