शिमला, 29 अगस्त : हिमाचल(Himachal) में महंगे फोन इस्तेमाल करने वाले लोग भी साइबर(Cyber Crime) शातिरों के निशाने पर हैं। इनमें मिलने वाली सुविधाओं का फायदा उठाकर शातिर ठगी का शिकार बना रहे हैं। साइबर पुलिस शिमला ने इसे लेकर एक एडवाइजरी जारी की है।
इसके मुताबिक पूरे भारत में इस तरह की ठगी का चलन बढ़ रहा है। दरअसल शातिर सबसे पहले कस्टमर को फोन करते है और ई-सर्विस ऑफर करते है और वे उन्हें अपने फोन के के.वाई.सी अपडेट करने को कहते है अन्यथा आपका फोन बंद होने की बात कहते है। उसके बाद कस्टमर को लिंक भेजते है जिसमें कस्टमर को एक फार्म भरना होता है जिसमें अंकाउट एटीएम डिटेल(Account ATM) भरी जाती है इसके पश्चात कस्टमर से टेलीकॉम सर्विस ऑपरेटर्स को रजिस्टर ई-मेल से ई सिम जारी करने बारे अनुरोध किया जाता है। उसके बाद कस्टमर को एक क्यू आर कोड प्राप्त होता है जिसे साईबर अपराधी कस्टमर से प्राप्त कर लेते है इस प्रक्रिया के दौरान साइबर अपराधी टीम विवर क्विक स्र्पोट डेस्क ऐप डाउनलोड करने को कहते है तथा कस्टमर द्वारा ऐसा करने पर यह कस्टमर के मोबाइल की पूरी जानकारी प्राप्त करके बैंक खाता डिटेल प्राप्त कर लेते है। जिससे कस्टमर का खाता से लिंकड मोबाईल नम्बर बंद हो जाता है व इसी नम्बर का ई-सिम साईबर अपराधी के मोबाइल डिवाइस में एक्टिव हो जाता है जिसकी जानकारी कस्टमर को नही होती है और न ही उसे कोई ओ.टी.पीOneTime Password) प्राप्त होते है और साइबर अपराधी ऑनलाइन बैंकिग(Online banking) के माध्यम से कस्टमर के बैंक खातों एवं क्रेडिट कार्ड से पूर्ण राशि निकाल सकते है।
अहम बात ये है कि ऐसी तकनीक से साइबर अपराधी हाल ही शिमला के एक शिकायतकर्ता से लाखों रुपए की ठगी कर चुके हैं। जिसमें शिकायतकर्ता के बैंक खातों एंव क्रेडिट कार्ड से ऑनलाइन बैंकिग के माध्यम से यह राशि निकाली गई है जिस बार सदर थाना शिमला में आपराधिक मामला पंजिकृत किया गया है। राज्य साइबर थाना शिमला भी इस मामले में टैक्निकल सहायता प्रदान कर रही है।
एएसपी साइबर क्राईम शिमला नरवीर सिंह राठौर(ASP Cyber Crime Shimla Narveer Singh Rathore) ने ऐसे आपराधिक मामलों को लेकर लोगों को सर्तक रहने की सलाह दी और कहा कि किसी तरह के भी फोन आए तो भरोसा न करें और अपने ऑफिशियल नंबर पर काल करें।