नाहन 29 अगस्त : कोरोना संक्रमण में हिमाचल(Himachal Pardesh) के सबसे बड़े जिला कांगड़ा को पछाड़ कर सिरमौर दूसरे स्थान पर पहुंच गया है, हालांकि विभाग अपने स्तर पर कतई भी कम्युनिटी स्प्रेड की बात को स्वीकार नहीं करेगा, लेकिन संशय इस बात पर जाहिर किया जा रहा है कि कम्युनिटी स्प्रेड हुआ है। शनिवार सुबह के आंकड़ों के मुताबिक कांगड़ा(Kangra) में संक्रमित के मिलने का आंकड़ा 783 था जबकि सिरमौर में यह संख्या 789 पहुंच गई। कांगड़ा में 170 एक्टिव केस बचे हैं, सिरमौर में यह संख्या 248 की है। संक्रमित के मिलने के मामले में सोलन(Solan) इस समय सबसे आगे है, यहां 1382 केस सामने आए इसमें से 945 ठीक हो चुके हैं। एक्टिव मामलों की संख्या 392 हैं। चौथे स्थान पर हमीरपुर(Hamirpur) है यहां 493 मामले सामने आ चुके हैं इसमें 417 ठीक भी हो चुके हैं, एक्टिव मामलों की संख्या 72 है।
बीती रात 9:00 बजे के मेडिकल बुलेटिन के मुताबिक कांगड़ा जनपद में 607 लोगों ने कोरोना वायरस को हराया , जबकि सिरमौर में यह आंकड़ा 540 का है। कांगड़ा में छह की मौत हुई, सिरमौर में आंकड़ा आधिकारिक तौर(official information) पर तो एक का है, लेकिन तीन मामले ऐसे भी हैं, जिनका रिकॉर्ड यहां दर्ज नहीं है, इसमें एक नवजात शिशु(Infant) की मौत भी शामिल है जिसे चंडीगढ़(Chandigarh) रैफर किया गया था। इसके अलावा राजगढ़(Rajgarh) में एक निजी स्कूल के बुजुर्ग प्रधानाचार्य की मौत का मामला भी है जिनका निधन चंडीगढ़ से लौटते ही राजगढ़ में हो गया था। उधर पावंटा साहिब(Paonta Sahib) अस्पताल से चंडीगढ़ भेजी गई एक महिला की मौत मोहाली में हो गई थी। नाहन अस्पताल में स्क्रीनिंग टेस्ट(Screening test) में पॉजिटिव पाई गई महिला का भी शिमला ले जाने से पहले निधन हो गया ,इस मामले की जांच में भी लीपापोती (Daub)कर दी गई। शुक्रवार को एक स्टाफ नर्स (Staff nurse) की रिपोर्ट पॉजिटिव मिली थी, इस मामले में मेडिकल कॉलेज की बड़ी चूक सामने आई थी। क्योंकि एक संक्रमित के सम्पर्क में आने के बावजूद स्टाफ नर्स की लगातार ड्यूटी लगाई जा रही थी। एक महत्वपूर्ण बात यह है कि क्षेत्रफल और जनसंख्या के लिहाज से कांगड़ा(Kangra) समूचे प्रदेश का सबसे बड़ा जनपद है। यानी मोटे मोटे शब्दों में कहें तो सिरमौर(Sirmour) से 3 गुना है, छोटे से जिला में आंकड़ा इस हद तक पहुंचना चिंतनीय हो सकता है। बता दे सिरमौर में मंत्री सुखराम चौधरी व पूर्व विधायक बलदेव तोमर अपने परिवारों सहित पॉजिटिव आ चुके है।
बड़ी बात यह है कि स्थानीय लोग ही चपेट में आ रहे हैं। इसमें कोई दो राय नहीं है कि लोगों में कोरोना(Corona) वायरस का अब डर कम है, लेकिन इस बात को नजर अंदाज किया जा रहा है कि सामान्य तौर पर जटिल बीमारियों(Critical illness) के लिए इलाज मिलना मुश्किल हो सकता है।
15 जुलाई के बाद सिरमौर में कोरोना संक्रमितों के मामले में बड़ा उछाल दर्ज हुआ है। नौबत यह आ चुकी है कि प्रशासन द्वारा पांवटा साहिब के रिहायशी इलाके में ही मैनकाइंड फार्मा(Mankind Pharma) के गेस्ट हाऊस में ही संक्रमितों को आइसोलेट(Isolate) किया गया है। ऐसे हालात के बावजूद सिरमौर में अब तक भी डेडिकेटेड कोविड-19 अस्पताल(Dedicated Covid hospital) नहीं है। मात्र हैल्थ सेंटर(Health Center) को सराहां में अधिसूचित किया गया है। हालांकि नाहन में आयुष कोविड-19 अस्पताल को खोल दिया गया है इसे देश का पहला आयुष अस्पताल(First Ayush hospital in India) भी करार दिया गया है। मगर सवाल यह भी उठता है कि क्या आपातकालीन (Emergency) स्थिति में यह अस्पताल कसौटी पर पूरी तरह से खरा उतरेगा या नहीं।
एमबीएम न्यूज नेटवर्क में पहले भी इस बात का खुलासा किया था कि सिरमौर में डेडीकेटेड कोविड-19 अस्पताल को तुरंत ही अधिसूचित किया जाना चाहिए। अब आंकड़े खुद ही इस बात की तस्दीक कर रहे हैं कि छोटे से जिला में कोरोना संक्रमण रफ्तार पकड़े हुए हैं। आपको बता दें की 72 घंटों में सिरमौर में संक्रमितों का आंकड़ा 120 जा पंहुचा है। इसी की वजह से सिरमौर प्रदेश में तीसरे स्थान से दूसरे स्थान पर पहुंच गया है। स्वास्थ्य विभाग कम्युनिटी स्प्रैड़ (Community spread) से लगातार इनकार करता आया है। कुल मिलाकर डेडीकेटेड कोविड-19 अस्पताल के लावा सिरमौर में दमदार अधिकारियों को टीम को मैदान में उतारने की आवश्यकता भी है।
महत्वपूर्ण बात यह भी है कि सिरमौर में इस समय सटीक प्लानिंग(Accurate planning) की आवश्यकता भी है। जनपद(District) में कोई भी ऐसा इलाका नहीं पहुंचा है जहां कोरोना संक्रमण के मामले सामने नहीं आए हैं। वीरवार को सिरमौर के 2 लोगों ने दम भी तोड़ दिया। कुल मिलाकर अब सरकार को तय करना है कि इस समय प्रदेश के किन इलाको पर फोकस किया जाना चाहिए।