नाहन, 21 अगस्त : 80 के दशक तक ऐतिहासिक शहर देश के सबसे स्वच्छ शहरों की फ़ेहरिस्त में शामिल हुआ करता था, लेकिन धीरे-धीरे बढ़ती गंदगी ने इस वैभव को छीन लिया। इसकी वजह बढ़ती आबादी तो थी ही, साथ ही शहर में पिछले एक दशक में कोई बड़े पैमाने पर माइग्रेशन भी है। नगर परिषद की सत्ता में विज़न की कमी भी कारण बनी। बहरहाल अच्छी खबर यह है कि नाहन नगर परिषद ने स्वच्छ सर्वेक्षण 2020 के जोनल रैंकिंग में हिमाचल के स्तर पर पहला स्थान अर्जित किया है, जबकि देश की 4242 शहरी निकायों निकायों में 147वां पायदान पाया है। नगर परिषद का स्कोर 1834.87 रहा।
लाजमी तौर पर गुड न्यूज़ में सफाई कर्मियों का बड़ा योगदान है, लेकिन शहर वासियों में जागरूकता भी इसकी वजह मानी जा सकती है। कोरोना संकट में तो शहर बिल्कुल ही साफ सुथरा हो गया था। हालांकि अब अनलॉक होते ही गंदगी को फैंकने का सिलसिला फिर शुरू हुआ है, लेकिन यह माना जा सकता है कि शहर का एक तबका अब गलियों में गंदगी को नहीं फैंकता है। नगर परिषद कर्मी की सीटी बजने के बाद ही डस्टबिन को लेकर घर से बाहर आता है।
नगर परिषद के कार्यकारी अधिकारी ठाकुर अजमेर सिंह ने बताया कि यह रैंकिंग 25 से 50 हजार की आबादी वाली शहरी निकायों की है।
हिमाचल में नाहन (1834.87) के बाद दूसरे स्थान पर सोलन (1742.97) है, तीसरा स्थान मंडी (1655.5) को मिला है, जबकि चौथे स्थान पर बद्दी (1306.37) है। वहीं पांचवा स्थान भी सिरमौर के पांवटा साहिब (1235.98) ने अर्जित किया है।
कुल मिलाकर प्रण लिया जाना चाहिए कि शहर को हिमाचल में नहीं, बल्कि देश में सिरमौर बनाएंगे। इस रैंकिंग का पैरामीटर डोर टू डोर गारबेज कलेक्शन, डंपिंग साइट, कूड़े की प्रोसेसिंग, वाहनों में जीपीएस, एसबीएम का क्रियान्वयन, सूखे व गीले कूड़े के निष्पादन के अलावा सी व डी वेस्ट का निष्पादन इत्यादि रहा।