मंडी 16 अगस्त : फोरलेन निर्माण के कारण पंडोह निवासी मोहन लाल का घर ढहने की कगार पर पहुंच गया है। खतरे को भांपते हुए एक वर्ष पहले यह घर तो खाली करवा दिया, लेकिन प्रभावितों को अभी तक मुआवजा नहीं मिल सका है। प्रभावित परिवार ने शासन और प्रशासन से जल्द से जल्द मुआवजा अदा करने की गुहार लगाई है। वहीं प्रशासन इसके लिए सरकार के आदेशों का इंतजार कर रहा है।
मंडी जिला में पंडोह से टकोली तक फोरलेन का निर्माण कार्य काफी तेज गति के साथ चला हुआ है। लेकिन इस निर्माण के कारण कुछ लोगों को परेशानी भी झेलनी पड़ रही है। इन्हीं में से एक है पंडोह के साथ लगते डयोड गांव में मोहन लाल का परिवार। मोहन लाल ने मेहनत मजदूरी करके अपने लिए एक छोटा सा आशियाना बनाया था, लेकिन फोरलेन निर्माण ने इस परिवार के आशियाने को खंडहर में बदल दिया। हालांकि मोहन लाल का घर फोरलेन निर्माण कार्य से काफी दूर था लेकिन फोरलेन निर्माण के लिए जो कटिंग की गई उससे मोहन लाल का घर भी जद में आ गया। एक साल पहले प्रशासन ने इस घर को डेंजर जोन घोषित करते हुए इस खाली करवा दिया। मोहन लाल का परिवार तब से किराए के मकान में रह रहा है। फोरलेन निर्माण में लगी एफकॉन्स कंपनी की तरफ से इस परिवार को हर महीने सात हजार रूपए किराए के रूप में दिए जा रहे हैं। लेकिन क्षतिग्रस्त हो चुके घर को मुआवजा अभी तक इस परिवार को नहीं मिल पाया है। आज हालात यह हो चुके हैं कि यहां आए दिन लैंडस्लाइड हो रहा है और घर के आगे बना स्टोर ढह गया है जबकि घर में बड़ी-बड़ी दरारें आ चुकी हैं और यह भी ढहने वाला है। मोहन लाल की पत्नी बिंद्रा देवी और चाचा नोख सिंह ने बताया कि मुआवजे की मांग को लेकर वह सीएम जयराम ठाकुर से भी मिल चुके हैं लेकिन अभी तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई है। इन्होंने आरोप लगाया है कि इनकी कहीं कोई सुनवाई नहीं हो रही। इन्होंने मांग उठाई है कि जल्द से जल्द मुआवजा अदा किया जाए ताकि यह किसी दूसरी जगह अपना आशियाना बना सकें।
वहीं जब इस बारे में एसडीएम सदर निवेदिता नेगी से बात की गई तो उन्होंने बताया कि पंडोह से लेकर औट तक ऐसे 32 मामले हैं जो प्रशासन के ध्यान में आए हैं। क्योंकि यह परिवार आर ओ डब्ल्यू के बाहर के हैं इसलिए इनकी रिपोर्ट बनाकर सरकार को भेज दी गई है। सरकार ने डीसी मंडी की अध्यक्षता में एक कमेटी गठित की है जो इन मामलों को देख रही है। उन्होंने कहा कि कमेटी अपनी रिपोर्ट सरकार को भेजेगी उसके बाद सरकार ही इसपर अंतिम निर्णय लेगी।
बता दें कि यह वो लोग हैं जिनकी जमीन फोरलेन निर्माण के लिए अधिग्रहित नहीं की गई है लेकिन फोरलेन निर्माण के कारण इनके घरों और जमीनों को काफी ज्यादा नुकसान पहुंचा है। अब सरकार के आदेशों का इंतजार है जिसके बाद ही यह तय होगा कि इन परिवारों को किस आधार पर मुआवजा दिया जाना है।