नाहन/सोलन (एमबीमएम न्यूज): दक्षिण हिमाचल के आबकारी व कराधान विभाग (उडऩदस्ते) के दल ने इनपुट टैक्स क्रेडिट (आईटीसी) में धोखाधड़ी के बड़े मामले का पर्दाफाश किया है। इस मामले में विभाग ने एक करोड़ 7 लाख रुपए का जुर्माना वसूल कर लिया है। इस कृत्य को अंजाम देने के लिए बाकायदा फर्जी फर्में भी तैयार की गई थी, जिनसे कच्चे माल की खरीद दिखाई जा रही थी। विभाग को उस वक्त शक हुआ, जब असल फर्मों की रिर्टनस में उन फर्मों से खरीद दिखाई जो विभाग के रिकॉर्ड में पंजीकृत ही नहीं थी।
दरअसल कालाअंब व सोलन की दो फर्मों द्वारा फर्जी तरीके से कच्चे माल की खरीद दिखाई जा रही थी। इसके लिए बाकायदा बिल भी तैयार किए जा रहे थे। विभाग द्वारा फर्मों को 5 से 13.75 प्रतिशत तक आईटीसी का रिर्टन देने का प्रावधान है। इसे हासिल करने के लिए इलैक्ट्रिॉनिक्स उपकरण बनाने वाली दो फर्मों ने साजिश रचकर फर्जी बिल बनाने शुरू कर दिए। बाकायदा आईटीआर वापिस लिया जाने लगा। विभाग को करीब छह महीने पहले जब शक हुआ तो ऑनलाइन रिकॉर्ड खंगालना शुरू किया गया।
गहन पड़ताल के बाद यह पता चला कि इन फर्मों ने जो आईटीआर लिया है, वास्तव में वह इसके पात्र नहीं थे। मजेदार बात यह है कि विभाग को गुमराह करने के लिए फर्जी बिलों में टैक्स का भुगतान भी दिखाया जा रहा था। इस बड़े पर्दाफाश को करने में ईटीओ प्रदीप शर्मा व इंस्पेक्टर अमित कश्यप की टीम कई महीने तक जांच में जुटी रही। गौरतलब है कि कुछ महीने पहले भी उडऩदस्ते के परवाणु कार्यालय ने इसी तरह के घोटाले का पर्दाफाश किया था, जिसमें तीन दर्जन के आसपास फर्जी फर्मों के खुलासे के बाद करीब चार से पांच करोड़ का जुर्माना वसूला गया था।
उधर आबकारी व कराधान विभाग के उप आयुक्त डॉ. सुनील कुमार ने पुष्टि करते हुए कहा कि एक करोड़ 7 लाख रुपए का जुर्माना वसूल कर लिया गया है।