सतौन: क्षेत्र में 108 कर्मियों के साहस की बदौलत 6 घंटे के भीतर दो महिलाओं की गोद में किलकारी गूंज उठी। दोनों प्रसूतियां पेचीदा थी, मगर कर्मियों ने साहस के बूते कर दिखाया। कमरऊ क्षेत्र के कांटीमश्वा की मोनिका देवी को प्रसव पीड़ा शुरू हुई। करीब 7 बजे 108 को काॅल की गई। ईएमटी विक्रम व पायलट कुलदीप सिंह सतौन से कांटीमश्वा के लिए रवाना हुए।
हालत गंभीर थी, लिहाजा कर्मियों के सामने वहीं पर प्रसूति करवाने के अलावा दूसरा विकल्प नहीं था। रात 7ः40 पर मोनिका देवी की गोद में बेटी की किलकारी गूंज उठी। इसके बाद ईएमटी व पायलट ने जच्चा-बच्चा को पांवटा साहिब अस्पताल पहुंचाया। पांवटा साहिब से ईएमटी विक्रम व पायलट कुलदीप सिंह को सतौन पहुंचे मात्र 10 मिनट ही हुए थे कि भरोग बनेडी के खुडला खरक गांव से 23 वर्षीय अंजू देवी को प्रसव पीड़ा होने की सूचना मिली।
मौके पर पहुंचकर कर्मियों ने महिला को लेकर अस्पताल का सफर शुरू किया, लेकिन 7 किलोमीटर दूर पहुंचने के बाद अंजू देवी पीड़ा को सहन नहीं कर पाई। इस प्रसव को करवाना काफी कठिन था, क्योंकि नाल शिशु की गर्दन में लिपटी हुई थी। लेकिन साहस के अलावा दूसरा विकल्प सामने नहीं था। रात 1ः13 बजे अंजू देवी ने बेटे को जन्म दिया। कोरोना महामारी की वजह से परिवार ने जच्चा-बच्चा को पांवटा साहिब अस्पताल ले जाने से इंकार कर दिया। जिसके बाद वो महिला व शिशु को अपने निजी वाहन में ही घर वापस लेकर लौटे।
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