सुंदरनगर : मेडिकल कॉलेज नेरचौक अस्पताल की आवासीय कॉलोनी को बिजली के अघोषित कटों का सामना करना पड़ रहा है। मेडिकल कॉलेज भवन में तो जनरेटर के माध्यम से बिजली आ जाती है, लेकिन आवासीय कालोनी में डॉक्टर और अन्य स्टाफ के परिवार को इस झुलसने वाली गर्मी में रहना पड़ता है। वहीं एक घंटा जनरेटर चलाने के लिए 100 लीटर तेल का खर्चा आता है। इससे सुबह से शाम तक जनरेटर चलने पर एक ही दिन में हजारों रूपयों का आर्थिक बोझ प्रदेश सरकार के खजाने पर पड़ रहा है।
मेडिकल कॉलेज में ड्यूटी में तैनात डॉक्टर व पैरामेडिकल स्टाफ के लिए कॉलेज के समीप ही आवासीय परिसर का निर्माण किया गया है। इस आवासीय परिसर में लगभग एक हजार स्टाफ परिवार सहित रहता है। जानकारी देते हुए लाल बहादुर शास्त्री मेडिकल कॉलेज की फैक्लटी एशोसिएशन के उपप्रधान डॉ. रजनीश शर्मा ने कहा कि कोरोना को लेकर लाल बहादुर शास्त्री मेडिकल कॉलेज को डेडिकेटेड कोविड अस्पताल घोषित किया गया है। उन्होंने कहा कि इस मेडिकल कॉलेज में बिजली की समस्या पिछले 4 सालों से बनी हुई है।
उन्होंने कहा कि जब समस्या को लेकर पीडब्ल्यूडी से बात की जाती है तो वे विद्युत विभाग और जब विद्युत विभाग से शिकायत की जाती है तो वो पीडब्ल्यूडी विभाग से शिकायत करने को बोलते हैं। लेकिन आवासीय कालोनी में बिजली गुल रहती है। उन्होंने कहा कि मेडिकल कॉलेज के बाहर स्थानीय लोगों के घरों में बिजली होती है लेकिन आवासीय कॉलोनी में बिजली नहीं होती है। डॉ. रजनीश शर्मा ने कहा कि ट्रांसफार्मर का कोई रख-रखाव नहीं किया जाता है। इस कारण उनमें लीकेज होने से कभी भी कोई बड़ा हादसा हो सकता है।