सोलन : 18 साल की बेटी विदेश में कोसों दूर कोरोना संकट का सामना कर रही है। बेटी को घर लाने के लिए माता-पिता महीनों तक बेबसी का सामना करते रहे। हिमाचल के सोलन जनपद के धर्मपुर अस्पताल में करीब चार महीने से कोरोना वाॅरियर के तौर पर सेवाएं दे रही मां बेशक ही परायों के लिए दिन-रात सेवा में जुटी रही, लेकिन अपनी बेटी को घर लाने के लिए सरकार से गुहार लगाती रही। सोचिए, ऐसे हालात में माता-पिता पर क्या गुजर रही होगी। अगर खुद को आप इस जगह पर रखकर देखेंगे तो पीड़ा समझ आएगी। परिवार ने कई सप्ताह से ऐसे मानसिक आघात( Mental trauma) का सामना किया, जिसकी कल्पना मात्र से ही कोई भी सिहर उठेगा।
ऐसे परिवार कर रहा है मेंटल ट्राॅमा का सामना….
जैसे-तैसे 20 जून को युवती मुश्किलों का सामना करते हुए दिल्ली एयरपोर्ट पहुंचती है। उसे घर लाने में माता-पिता को ही जिम्मेदारी उठानी पड़ती है। हिमाचल की सीमा में दाखिल होते ही प्रशासन का फरमान मिलता है। इसके मुताबिक बेटी को धर्मपुर के समीप ही सनावरा के होटल में क्वारंटाइन कर दिया जाता है। चूंकि मां शिवानी ठाकुर खुद भी एक स्वास्थ्य कर्मी है, लिहाजा बेटी में कोई भी लक्षण न होने पर यह समझ लेती है कि सबकुछ ठीक ठाक है। हैरान करने वाली बात यह भी है कि युवती को जिस होटल में क्वारंटाइन किया गया था, वहां से सैंपल नहीं लिए गए, बल्कि शिवानी को खुद ही बेटी को लेकर स्वास्थ्य संस्थान तक जाना पड़ा। अब करीब 10 दिन के बाद युवती की रिपोर्ट पाॅजिटिव आने के बाद हंगामा खड़ा कर दिया जाता है। आनन-फानन में माता-पिता पर यह आरोप लगा दिया जाता है कि वो बेटी से मिलने होटल में जाया करते थे। अब सवाल यह उठता है कि अगर माता-पिता होटल में जा भी रहे थे तो उसी समय होटल स्टाफ ने पुलिस को सूचित कर मामला क्यों दर्ज नहीं करवाया। परिवार का यह भी तर्क है कि होटल के सीसी कैमरों को चैक किया जाए, ताकि इस बात की तस्दीक हो सके कि एक बार भी वहां तैनात स्टाफ ने उन्हें रोका हो।
विडंबना यह है कि रिपोर्ट पाॅजिटिव आने की सूरत में ही मामला दर्ज किया जाता है। अगर रिपोर्ट नेगेटिव होती तो कोई पूछने वाला नहीं था कि वो बेटी से मिलने क्यों होटल में गए थे। बता दें कि बीती रात परिवार सहित प्राइमरी काॅन्टैक्ट के 20 सैंपल्स की रिपोर्ट नेगेटिव आने के बाद परिवार कुछ हद तक स्थिर हुआ है, अन्यथा परिवार के सदस्य अवसाद का सामना करने लगे थे। परिवार का तर्क मानें तो बेटी के वापस आने की खबर छोटी बहन तक को नहीं दी गई, क्योंकि वो अपनी बहन से मिलने को उतावली हो सकती थी। चूंकि शिवानी भी एक स्वास्थ्य कर्मी है, यही कारण था कि वो अपनी बेटी को क्वारंटाइन के दौरान अतिरिक्त सावधानियां बरतने की हिदायत देती रही। दीगर यह भी है कि बेटी के क्वारंटाइन होने के बाद भी शिवानी को डयूटी पर बुलाया जा रहा था। शिवानी का यह भी कहना था कि अफवाहों ने भी परिवार के अवसाद को ओर बढ़ाया।
कुल मिलाकर संक्रमित पाए गए लोगों के मामले को लेकर संवेदनशीलता बरती जानी चाहिए। इस बात को भी नजरअंदाज नहीं किया जाना चाहिए कि एक परिवार अपनी बेटी को विदेशी धरती से वापस लाने की जद्दोजहद के बाद इस तरह की मानसिक स्थिति से गुजर रहा हो। यही नहीं, यह भी सोचा जाना चाहिए कि एक कोरोना वाॅरियर को ही मेंटल ट्राॅमा से जूझना पड़ा। इस मामले में ये भी सवाल उठता है कि महज 18 साल की लड़की विदेश से ही संक्रमित हो कर आई थी या फिर दिल्ली एयरपोर्ट पर अपनी सरकार की लचर व्यवस्था की वजह से संक्रमित हुई। क्योंकि आज ही कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में दिल्ली एयरपोर्ट पर सरकारी तंत्र की खामियों को भी उजागर किया गया है।
(जैसा शिवानी ने एमबीएम न्यूज़ को बताया)