शिमला: बहुचर्चित छात्रवृति घोटाले में सीबीआई द्वारा गिरफ्तार किए गए केसी ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूशन के वाइस चेयरमैन हितेश गांधी को प्रदेश हाईकोर्ट से राहत नहीं मिल पाई है। 250 करोड़ के घोटाले में हाईकोर्ट ने आरोपित की जमानत याचिका खारिज कर दी है। हितेश गांधी ने जमानत के लिए हाईकोर्ट का दरबाजा खटखटाया था। आरोपित ने जमानत के लिए याचिका दाखिल की थी। जिस पर सुनाई करते हुए हाईकोर्ट ने इसे खारिज कर दिया।
हितेश गांधी पिछले करीब छह माह से जेल में बंद है। इसी साल 3 जनवरी को वह गिरफ्तार हुआ था। इस घोटाले में सीबीआई ने गत 30 मार्च को अदालत में चार्जशीट दाखिल की थी। चार्जशीट में हितेश गांधी सहित 12 लोगों को आरोपी बनाया गया है। इनमें आधा दर्जन आरोपित शिक्षा महकमे के अधिकारी व कर्मचारी हैं, जो कि घोटाले के वक्त शिक्षा निदेशालय शिमला में कार्यरत थे।
छात्रवृति स्कैम में सीबीआई ने शिक्षा विभाग के तत्कालीन अधीक्षक ग्रेड 2 अरविंद राजटा और एक बैंक के तत्कालीन हैड कैशियर एसपी सिंह को भी सीबीआई ने गिरफ्तार किया था।सीबीआई ने 9 मई 2019 को इस घोटाले में एफ़आईआर दर्ज की थी। इसके बाद हिमाचल सहित कई शैक्षणिक संस्थानों के ठिकानों पर छापेमारी हुई। ऊना के पड़ोगा और नंवाशहर के केसी ग्रुप निजी शिक्षण संस्थान के खिलाफ सीबीआई जांच में सामने आया है कि इन दोनो संस्थानों में एक साल में 30 करोड़ की छात्रवृतियो का गोलमाल हुआ है। दोनों संस्थानो में 370 छात्रवृतियां फर्जी ही जारी की गई। पड़ोगा और नंवाशहर के निजी शिक्षण संस्थान में छात्रवृत्ति हड़पने के लिए छात्रों की जाति को ही बदल दिया। छात्रवृति की रकम ज्यादा हड़पने के लिए अनुसूचित जाति (एसी) के छात्रो को अनुसूचित जनजाति (एसटी) का फर्जी छात्र बनाया गया। छात्रों की जाति बदलकर छात्रवृति हड़पने का यह खेल इसलिए खेला गया क्योंकि एसटी के छात्रों को एसी के छात्र से दोगुनी छात्रवृति मिलती है। अनुसूचित जाति के छात्र को 50,000 और अनुसूचित जनजाति के छात्र को 98,000 की छात्रवृति मिलती है।