धर्मशाला: शायद, ऐसा हिमाचल में पहली बार हुआ होगा, जब 14 साल की बच्ची एसडीएम बनी होगी। जी हां, हकीकत में 2016 बैच के बिंदास आईएएस अधिकारी जतिन लाल की गजब सोच की वजह से यह संभव हुआ है। आप जब यह खबर पढ़ रहे होंगे तो उस समय भी चपरासी की बेटी एसडीएम कांगड़ा की कुर्सी पर बैठकर(12-06-2020) अपने सपने को साकार होता महसूस कर रही होगी। निश्चित तौर पर ऐसी बेहतरीन सोच रखने वाले प्रशासनिक अधिकारी के रुतबे में ‘‘बिंदास’’ उपसर्ग लगना चाहिए। आप को यह भी बता दे कि आईएएस जतिन लाल ने यूपीएससी की परीक्षा में देश भर में 42वां रैंक हासिल किया था।
दरअसल एसडीएम कार्यालय में चपरासी की बेटी हिना ठाकुर ने दसवीं की परीक्षा में 94 फीसदी अंक हासिल किए हैं। यह बात, जब पिता ने आईएएस अधिकारी से शेयर की तो उन्होंने बेटी को ऑफिस लाने का आग्रह किया, ताकि वो व्यक्तिगत तौर पर हौंसला अफजाई कर सकें। बातों-बातों में जब हिना ठाकुर ने एसडीएम जतिन लाल को अपने जीवन के लक्ष्य के बारे में बताया तो उन्होंने तपाक से एक पल गंवाए बगैर ही अपनी कुर्सी सौंप दी। खुद साइड में चेयर पर बैठ गए। सोचिए, बच्ची का मोटिवेशनल स्तर क्या रहा होगा। दिलचस्प बात यह थी कि हिना ने कार्यालय में आने वालों के साथ सीधा संवाद भी स्थापित किया। नन्हीं उम्र में एसडीएम की कुर्सी पर बैठी हिना ठाकुर के लिए यह किसी सपने से कम नहीं था।
बता दें कि इस समय हिमाचल के सबसे बड़े जिला कांगड़ा की बागडोर भी उपायुक्त राकेश प्रजापति संभाल रहे हैं, जो एक गजब प्रशासनिक अधिकारी हैं। लाजमी तौर पर वो अपने अधीनस्थ प्रशासनिक अधिकारियों को भी जीवन में कुछ हटकर करने की प्रेरणा दे रहे हैं।
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निश्चित तौर पर आपके जहन में एक सवाल भी उठ रहा होगा कि कोई प्रशासनिक अधिकारी ऐसा कैसे कर सकता है, तो इसका जवाब भी एमबीएम न्यूज नेटवर्क ने खंगाला। आग में तप कर ही कुंदन बनता है। आईएएस जतिन लाल के साथ भी जीवन में कुछ ऐसा ही गुजरा है। पिता की सड़क हादसे में घायल होने के बाद नौकरी का भी दबाव आ गया। यूपीएससी की परीक्षा उत्तीर्ण करने से पहले परिणय सूत्र में भी बंध चुके थे। अर्द्धांगिनी ने लेक्चरर की नौकरी कर परिवार को आर्थिक सहयोग दिया। साथ ही पति के लिए प्रेरणा बनी। मूलतः दिल्ली के रहने वाले आईएएस जतिन लाल ने देवभूमि में एक ऐसी रिवायत शुरू की है, जो मेधावी बच्चों के लिए प्रेरणा स्त्रोत बनी है।
उधर एमबीएम न्यूज नेवटर्क से बातचीत में एसडीएम जतिन लाल ने कहा कि जब बच्ची ने बताया कि वो आईएएस बनना चाहती है तो तुरंत ही उन्होंने उसे एक दिन का एसडीएम बनाने का फैसला ले लिया। बेशक ही इस प्रेरणादायक स्टोरी की पटकथा नायक फिल्म से मिलती है, जिसमें अनिल कपूर को एक दिन के लिए मुख्यमंत्री की कुर्सी मिलती है, मगर हिमाचल की रियल लाइफ में एक बच्ची को असल रूप में एसडीएम की कुर्सी मिल गई।