नाहन: कोरोना संकट में समूचे देश में गायनी सेवाओं को सर्वोच्च प्राथमिकता देने का दावा हो रहा है। इसी बीच डाॅ. वाईएस परमार मेडिकल काॅलेज को बेहद ही शर्मिंदगी से गुजरना पड़ रहा है, क्योंकि हायर सैंटर से लोअर सैंटर में गर्भवती महिलाओं को रैफर करना पड़ रहा है। 30 मई को कोरोना संक्रमित महिला के सिजेरियन के बाद 5 जून से मेडिकल काॅलेज के तीन स्त्री रोग व दो एनेस्थीजिया विशेषज्ञों सहित कुल 42 को क्वारंटाइन कर दिया गया था।
हैरान कर देने वाली बात है कि मेडिकल काॅलेज प्रबंधन चौथे दिन भी गायनी ओपीडी व वार्ड के अलावा प्रसूति कक्ष में सेवाओं को बहाल नहीं किया जा सका है। यहां से गर्भवती महिलाओं को सोलन रैफर किया जा रहा है। इसके लिए भी महिलाओं को वाहनों के इंतजाम का संकट पैदा हो गया है। बताते हैं कि काॅलेज प्रबंधन ने 5 जून को ही सरकार को समूची स्थिति से अवगत करवाया था। बावजूद इसके किसी भी स्त्री रोग विशेषज्ञ ने यहां डयूटी ज्वाइन नहीं की है।
विडंबना देखिए, हाल ही में एक महिला को सोलन रैफर किया गया, मगर महिला ने रास्ते में ही बेटी को जन्म दे दिया। इसके बाद जच्चा-बच्चा को सराहां अस्पताल पहुंचा दिया गया, जहां पहले ही स्टाफ की कमी के कारण स्थिति नाजुक है। मेडिकल काॅलेज की ऐसी परिस्थिति के कारण निजी अस्पतालों को भी मोटी चांदी कूटने का मौका मिल रहा है। मगर परेशानी उन मरीजों को हो रही है, जो निजी अस्पतालों का खर्च वहन नहीं कर पाते।
उधर मेडिकल अधीक्षक डाॅ. अजय शर्मा ने बताया कि पांवटा साहिब से गायनोकोलोजिस्ट के आदेश जारी हुए थे, लेकिन उन्होंने ज्वाइन नहीं किया है। मेडिकल अधीक्षक ने माना कि इसके पीछे खुद बीमार होने को वजह बताया है। बहरहाल, हैरान कर देने वाली बात यह है कि मेडिकल काॅलेज की ऐसी स्थिति में भी डाॅक्टर अपनी सेवाएं देने से कतरा रहे हैं। जबकि पूरा देश मेडिकल स्टाफ को पलकों पर बिठाए हुए है।