शिमला/नाहन (एमबीएम न्यूज): हिमाचल हाईकोर्ट की सख्ती पर राज्य सरकार का प्रशासनिक अमला आवारा पशुओं को आशियाने उपलब्ध करवाने को लेकर हरकत में है। हरेक जिला में बैठकें की जा रही हैं। 14 अक्तूबर को हाईकोर्ट ने सख्ती से कहा था कि छह महीनों के भीतर आवारा पशुओं को रखने के लिए भवन का निर्माण करना होगा। लिहाजा आनन-फानन में भवनों की ड्राइंग व अनुमानित बजट को लेकर खाका तैयार किया जा रहा है।
एमबीएम न्यूज नेटवर्क को मिली जानकारी के मुताबिक शिमला प्रशासन ने 30 पशुओं को रखने के लिए 30 लाख रुपए का अनुमानित बजट बनाया है। इसमें भवन, चारा गोदाम व वाटर टैंक शामिल है। इसी तर्ज पर सिरमौर में 60 पशुओं को रखने के लिए 60 लाख रुपए के खर्चे का अनुमान लगाया है। यह भी पता चला है कि ऊना प्रशासन को लेकर हाईकोर्ट ने सख्त टिप्पणी की थी क्योंकि ऊना प्रशासन द्वारा आवारा पशुओं को लेकर ठोस कदम उठाने में कोताही बरती जा रही थी।
सिरमौर प्रशासन इस मसले पर बुधवार को बैठक भी कर रहा है। हालांकि हाईकोर्ट ने हरेक पंचायत में आवारा पशुओं को रखने के लिए भवन बनाने को कहा था, लेकिन हाईकोर्ट को अवगत करवाया जा रहा है कि राज्य की अधिकतर पंचायतें आवारा पशु मुक्त हैं। उधर जब पशु अत्याचार निवारण समिति सिरमौर की सचिव डॉ. नीरू शबनम से बात की गई तो उन्होंने माना कि आवारा पशुओं को रखने के लिए औसतन खर्च एक लाख रुपए प्रति पशु आ रहा है। इसमें चारे की कीमत शामिल नहीं है।