अरविंद राज्टा – डीलिंग हैंड सुपडेट
माला मेहता – डीडीओ कम सहायक निदेशक
श्रीराम शर्मा – तत्कालीन अधीक्षक , डीडीओ
सुरिंदर मोहन कंवर – तत्कालीन अधीक्षक ग्रेड वन.डीडीओ
अशोक कुमार – तत्कालीन अधीक्षक ग्रेड वन.डीडीओ
वीरेंद्र कुमार – तत्कालीन अधीक्षक ग्रेड वन.डीडीओ
सभी उच्च शिक्षा निदेशालय शिमला के अधिकारी।निजी शिक्षण संस्थानों के आरोपी
सरोज शर्मा – तत्कालीन कैंपस डायरेक्टर, केसी ग्रुप
डॉ बीएस संधू – तत्कालीन कैंपस डायरेक्टरए केसी समूह
हितेश गांधी – केसीऑफ इंस्टीट्यूशंस के तत्कालीन वाइस चेयरमैन
प्रेम पाल गांधी – तत्कालीन अध्यक्ष व मालिक पंडोगा और ऊना
किरण चौधरी – तत्कालीन कार्यवाहक प्राचार्य केसी ग्रुप
शशिंदर पाल सिंह – तत्कालीन हेड कैशियर सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया नवांशहर
ऊना के पड़ोगा और नंवाशहर के केसी ग्रुप निजी शिक्षण संस्थान के खिलाफ सीबीआई जांच में सामने आया है कि इन दोनो संस्थानों में एक साल में 30 करोड़ की छात्रवृतियो का गोलमाल हुआ है। दोनो संस्थानो में 370 छात्रवृतियां फर्जी ही जारी की गई। पड़ोगा और नंवाशहर के निजी शिक्षण संस्थान में छात्रवृत्ति हड़पने के लिए छात्रो की जाति को ही बदल दिया। छात्रवृति की रकम ज्यादा हड़पने के लिए अनुसूचित जाति (एसी) के छात्रो को अनुसूचित जनजाति (एसटी) का फर्जी छात्र बनाया गया। छात्रों की जाति बदलकर छात्रवृति हड़पने का यह खेल इसलिए खेला गया क्योकि एसटी के छात्रो को एसी के छात्र से दोगुनी छात्रवृति मिलती है। अनुसूचित जाति के छात्र को 50,000 और अनुसूचित जनजाति के छात्र को 98,000 की छात्रवृति मिलती है ।
गौरतलब है कि एक शिकायत के बाद शिक्षा विभाग ने जांच की तो साल 2013-14 से 2016-17 तक 2.38 लाख एससी, एसटी और ओबीसी के विद्यार्थियों को छात्रवृत्ति जारी करने के दौरान हुई गड़बड़ी की बात सामने आई। इसी दौरान 2772 शिक्षण संस्थानों को छात्रवृत्ति बंटी, जिसमें 266 निजी शिक्षण संस्थान शामिल थे। सरकार ने सीबीआई जांच के आदेश दिए थे।
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