सोलन : समूचे प्रदेश में खाकी का मानवीय चेहरा सामने आ रहा है। कर्फ्यू का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ पुलिस सख्ती दिखा रही है तो पैदल घर जा रहे मजदूरों के प्रति नरम रुख अपनाया जा रहा है। बीती रात सोलन में एक पुलिस कर्मी की मानवता की अलग ही मिसाल सामने आई। दरअसल, शिमला की तरफ से कई मजदूर पैदल ही आ रहे थे। सिटी चौकी के समीप पूछताछ हुई तो पता चला कि कई मजदूर भूख से तड़प रहे थे।
इसी दौरान कांस्टेबल संजीव ठाकुर ने न तो किसी से राशन मांगा और न ही कोई दान। सीधा अपने घर पहुंचा और कुछ देर बाद खाना लेकर लौटा। हर कोई पुलिस कर्मी की इस तरह की मानवता को देखकर प्रभावित हुआ। यकीन मानिए, उन प्रवासी मजदूरों के दिल से इस पुलिस कर्मी के लिए कितनी दुआएं निकली होंगी, जो थकान के साथ-साथ भूखे-प्यासे ही पैदल जा रहे थे। इसी बीच प्रशासन ने करीब 40 मजदूरों को रबौण स्थित राधास्वामी सत्संग भवन में बनाए गए क्वारंटाइन सैंटर में भेज दिया। यह प्रवासी मजदूर प्रदेश के अलग-अलग हिस्सों से पैदल ही अपने घर उत्तर प्रदेश जा रहे थे।
एमबीएम न्यूज नेटवर्क द्वारा जुटाई गई जानकारी के मुताबिक उत्तर प्रदेश के 7 प्रवासी मजदूर एक दिन पहले ठियोग से ही सहारनपुर के लिए पैदल चले थे। भूखे-प्यासे रविवार रात सोलन पहुंचे। टै्रफिक कर्मी संजीव ठाकुर ने पहले फोन पर अपनी पत्नी भारती ठाकुर को खाना बनाने के लिए सूचित किया। जिन्होंने मात्र 20 से 30 मिनट के भीतर ही 10 लोगों का खाना तैयार कर दिया। यही नहीं, कांस्टेबल ने अपने निजी वाहन में दो को क्वारंटाइन सैंटर पहुंचाया, क्योंकि सरकारी जिप्सी में केवल 5 लोगों को ले जाया जा सकता था।
प्रारंभिक जानकारी के मुताबिक तीन लोग पांवटा साहिब से मंडी भी जा रहे थे। मजदूरों का सफर ठियोग, पांवटा साहिब, दाड़लाघाट, तत्तापानी व कुनिहार इत्यादि से शुरू हुआ था।