शिलाई : सोचिए, एक अनुसूचित जाति से संबंध रखने वाले गरीब परिवार पर उस समय क्या बीत रही होगी, जब घर के भीतर नाबालिग बेटी का शव फंदे पर झूल रहा हो। केवल इंतजार हो रहा था, महज 10 किलोमीटर दूर शिलाई थाना से पुलिस के आने का। एक-एक पल भारी होता चला गया। मगर आप यह जानकर सिहर उठेंगे कि पुलिस को मौके पर पहुंचने में 12 घंटे का वक्त लग गया।
क्षेत्रवासियों की मानें तो आलम यह हो चुका था कि परिवार की आंखों के आंसू भी सूख चुके थे। हालांकि शिलाई के थाना प्रभारी आरोपों से इंकार कर रहे हैं, लेकिन मामला पुलिस अधीक्षक के ध्यानार्थ जरूर आना चाहिए, ताकि निष्पक्ष जांच के बाद असल वजह सामने आ जाए। इलाके में पटवारी की एक रिपोर्ट के छोटे से कागज की प्रतिलिपि भी वायरल हो रही है। इसमें पौने 9 बजे आत्महत्या की सूचना मिलने की बात कही गई है। मामला उपमंडल की श्री क्यारी पंचायत के डुमोडी गांव से जुड़ा है। अनुसूचित जाति से ताल्लुक रखने वाले गरीब परिवार की 17 साल की बेटी ने आत्महत्या कर ली।
आरोपों की मानें तो 12 घंटे तक शव फांसी के फंदे पर लटकता रहा। रात 8 बजे पुलिस ने मौके पर पहुंचकर शव को कब्जे में लिया। शुक्रवार को पोस्टमार्टम के बाद शव को पुलिस के हवाले कर दिया गया। वीरवार को ही अगर कार्रवाई हो जाती तो बेटी के शव का अंतिम संस्कार भी हो सकता था। क्षेत्र में लोग पुलिस की इस तरह की कार्यप्रणाली से आक्रोशित हैं। लोगों का कहना है कि पुलिस को घटना की सूचना सुबह ही दे दी गई थी। ऐसा भी नहीं है कि पुलिस को पैदल ही आना था। सड़क सुविधा भी उपलब्ध है।
उधर थाना प्रभारी मस्तराम ठाकुर ने संपर्क किए जाने पर तमाम आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि उन्हें शाम साढ़े 5 बजे एक पत्रकार के माध्यम से घटना की जानकारी मिली। वो उस समय करीब 65 किलोमीटर दूर थे। सूचना मिलने के बाद फौरन ही घटनास्थल की ओर रवाना हुए। फिलहाल कोई सुसाइड नोट नहीं मिला है।