शिमला : पुलिस विभाग से जुड़ा बहुचर्चित जूता घोटाला एक बार फिर सुर्खियों में है। करीब 9 साल बाद इस घोटाले की दोबारा विजिलेंच जांच होने जा रही है। दरअसल इस मामले को रद्द करने की विजिलेंस की अपील को शिमला की विशेष अदालत ने खारिज कर दिया है। अदालत ने विजिलेंस को मामले की दोबारा जांच करने के आदेश दिए हैं। अदालत के इस ताज़ा फरमान के बाद जेल के मौजूदा डीजी सोमेश गोयल सहित दो पूर्व सेवानिवृत्त पुलिस अफसरों की मुश्किलें बढ़ सकती हैं।
जूता घोटाले में विजिलेंस जांच में इन तीनों के खिलाफ आरोप लगे थे।पूर्व डीजीपी डीएस मन्हास व पूर्व डीआइजी एचपीएस वर्मा की मुश्किलें बढ़ गई हैं। जूता घोटाले में विजिलेंस जांच में इन तीनों के खिलाफ आरोप लगे थे। उस समय मिन्हास प्रदेश के डीजीपी, गोयल एडीजीपी मु यालय और वर्मा डीआइजी प्रशासन के पद पर कार्यरत थे। तीनों अफसरों के खिलाफ आरोप तैयार कर 26 दिसंबर 2013 को सरकार के पास भेजा गया था।
छह मई 2017 को प्रधान सचिव विजिलेंस ने सूचित किया गया कि इनके खिलाफ विभागीय कार्रवाई करने के लिए मामला प्रशासनिक सचिव के हवाले किया जाए। 31 मार्च 2017 को प्रशासनिक सचिव ने सोमेश गोयल के खिलाफ चार्जशीट ड्रॉप कर दी। सनद रहे कि पूर्व भाजपा सरकार के कार्यकाल में पुलिस द्वारा जवानों के लिए खरीदे गए जूते पर घोटाले के आरोप लगे थे।
कांग्रेस सरकार ने जूते घोटाले का मामला अपनी चार्जशीट में भी रखा था। कांग्रेस चार्जशीट के आधार पर ही विजिलेंस ने जूते घोटाले की जांच शुरू की थी अब जिसके बाद ये सामने आया था कि इसमें कुछ तकनीकी खामिया पाई गई हैं। भाजपा कार्याकाल के समय में वर्ष 2010 में पुलिस विभाग में जवानों के लिए जूते खरीदे गए थे। विभाग द्वारा 1.27 करोड़ के जूतों को खरीदा गया था।