नाहन: एक अरसा पहले भारतीय करेंसी पर सोनम गुप्ता बेवफा है लिखने का सिलसिला याद होगा। इन दिनों शहर में वाहनों पर” मालिक मुझे नहला दो प्लीज ” लिखने का ट्रेंड चल रहा है। शुरुआत में ऐसा प्रतीत हुआ कि यह बात महलात की घाटी पर कारों पर लिखी जा रही है, लेकिन जब नजर दौड़ाई गई तो शहर के कुछ अन्य हिस्सों में भी कारों पर यह बात लिखकर शायद तंज कसा गया है।
सड़कों के किनारे पार्क वाहनों को मालिक लंबे समय तक हिलाते ही नहीं है, इस कारण शहर की ट्रैफिक व्यवस्था पर तो असर पड़ता ही है साथ ही सड़कों के तंग होने के कारण राहगीरों को भी परेशानी का सामना करना पड़ता है। कुल मिलाकर मालिक मुझे नहला दो की पंक्तियों ने यह बात तो बखूबी साबित कर दी है कि शहर के की सड़कों पर नकारा वाहनों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है। शायद ही शहर का कोई कोना ऐसा होगा, जहां इस तरीके के वाहन पार्क नजर ना आए। यहां तक की दोपहिया वाहनों की भी हालत ऐसी ही है।
अगर पुलिस इस बात का सर्वेक्षण शुरू करें कि कितने वाहनों को सड़कों पर से लंबे अरसे से नहीं हटाया जा रहा है तो नतीजे चौकाने वाले भी हो सकते हैं। बहरहाल कारो पर लिखी गई यह पंक्तियां लोगों में खासी चर्चा का सबब बनी हुई है।