कालाअंब : बुधवार को ही प्रदेश के प्रवेशद्वार कालाअंब में पर्यावरण के संरक्षण को लेकर कसीदे पढ़े गए। कालाअंब को स्वच्छ करने का सपना देखा गया। संयोग देखिए, इसी दिन राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने क्षेत्र में स्थित धातु उत्पादन कंपनी रेडियंट सीमेंट के खिलाफ कार्रवाई करने में विफल रहने पर दो लाख रुपए का जुर्माना किया।
एनजीटी की पीठ ने यह भी आदेश दिए हैं कि जुर्माने की राशि एक सप्ताह के भीतर नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल बार एसोसिएशन में जमा करवाई जाए। एनजीटी ने यह भी आदेश दिया है कि जब तक पर्यावरणीय मंजूरी नहीं मिल जाती, तब तक यूनिट का संचालन निलंबित रहेगा। इसके बाद से बोर्ड के हाथ-पांव फूल चुके हैं। हैरान कर देने वाली बात यह है कि धातु कंपनी ने ईआईए (पर्यावरण प्रभाव आकलन) 2006 की अधिसूचना के तहत पर्यावरणीय मंजूरी हासिल नहीं हुई थी। इसके बावजूद भी फर्नेस यूनिट में धड़ल्ले से उत्पादन चल रहा था।
तर्क था कि इकाई द्वारा उद्योग में स्टेनलैस स्टील की सिल्लियों व सरिया इत्यादि का उत्पादन हो रहा है। इसकी प्रतिवर्ष 9600 मिट्रिक टन की क्षमता है। इसके अलावा भट्ठी की क्षमता 43,200 मिट्रिक टन प्रतिवर्ष की है। लिहाजा, 2006 की अधिसूचना का उल्लंघन इसलिए हो रहा है, क्योंकि इसके लिए पर्यावरण क्लीयरेंस की आवश्यकता थी। आयुष गर्ग ने एनजीटी में दायर याचिका में कहा था कि प्रतिवर्ष 20 हजार टन से अधिक क्षमता वाली भारी धातु उत्पादनक इकाईयों को पर्यावरणीय मंजूरी लाजमी है। दावा यह भी किया गया कि इसका उल्लंघन कर इकाई ने जानबूझ कर पर्यावरणीय मंजूरी नहीं ली है।
ट्रिब्यूनल ने पाया कि रोलिंग मिल की क्षमता 8 घंटे के एकल बदलाव 43,200 एमटीपीए है। एनजीटी ने अपने आदेश में यह भी कहा कि उत्तरदाता पर्यावरण मंजूरी के लिए मंत्रालय से संपर्क कर सकता है। एनजीटी ने यह भी पाया कि रोलिंग मिल की क्षमता 30 हजार एमटीए से अधिक है। इस समूचे मामले में अहम बात यह है कि प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अधिकारी क्यों आंखें मूंदे बैठे रहे हैं। कालाअंब में प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के एसडीओ का कार्यालय है, जबकि पांवटा साहिब में एक्सईएन कार्यालय है।
एमबीएम न्यूज नेटवर्क ने प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के सचिव आदित्य नेगी से संपर्क करने की कोशिश की, लेकिन मोबाइल स्विच ऑफ मिलता रहा। उधर प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अधिषाशी अभियंता एके शारदा से भी लगातार संपर्क करने के प्रयास किए गए, लेकिन एक बार कॉल रिसीव नहीं की, फिर फोन लगातार व्यस्त मिलता रहा। बहरहाल, इस संवेदनशील मामले पर प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड कोई टिप्पणी जाहिर करता है तो प्रकाशन प्रमुखता से किया जाएगा। रोचक बात यह भी है कि कंपनी का नाम सीमेंट उत्पादन दर्षाता है, जबकि परिसर में धातु उद्योग चल रहा है। इस तरह की यूनिट को प्रदूषण के लिहाजा से काफी संवेदनशील माना जाता है।
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