मंडी : 36 वर्ष बीत जाने के बाद भी 1984 सिख दंगा पीड़ितों को आज दिन तक मुआवजा नहीं मिल पाया है। आलम यह है कि 22 सितंबर 2012 को हिमाचल के मुख्य सचिव द्वारा मुआवजा की अधिसूचना जारी किए जाने के बावजूद यह मुआवजा पीड़ित परिवारों को नहीं मिल पाया है। इस संदर्भ हिमाचल सिख गुरूद्वारा प्रबंधक कमेटी ने राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग के पास मुआवजा याचिका दायर की है। यह जानकारी हिमाचल सिख गुरूद्वारा प्रबंधक कमेटी के अध्यक्ष परविंद्र सिंह खालसा ने आज मंडी में आयोजित पत्रकारवार्ता में दी।
उन्होंने बताया कि हिमाचल प्रदेश के 231 दंगा पीड़ित सिखों ने नुकसान को लेकर पुलिस में शिकायतें दर्ज करवाई थी और इनका कुल मुआवजा 17 करोड़ 84 लाख 45 हजार बनता है। लेकिन सरकार ने सभी दंगा पीड़ितों को मात्र दो दो लाख रूपये राशि देने का ऐलान वर्ष 2012 में किया था। उन्होंने हैरानी जताते हुए कहा कि आज दिन तक यह राशि पीड़ित परिवारों को नहीं मिल पाई है। इन्होंने राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग से प्रदेश के सभी जिलों के उपायुक्तों को दिल्ली तलब करने की मांग उठाई है, ताकि इनसे यह पूछा जा सके कि यह मुआवजा राशि अभी तक क्यों अदा नहीं की गई है।
परविंद्र सिंह खालसा का कहना है कि एक तरफ केंद्र सरकार एनआरसी व सीएए के माध्यम से बाहरी लोगों को नागरिकता देने जा रही है। वहीं, अपने ही देश के दंगा पीड़ितों को अभी तक न्याय नहीं दिला सकी है। हिमाचल सिख गुरूद्वारा प्रबंधक कमेटी द्वारा जुटाए गए आंकड़ों के मुताबिक प्रदेश के 560 सिख परिवार दंगों के बाद दूसरों राज्यों में पलायन कर चुके हैं। मात्र 231 परिवार ही ऐसे बचे हैं, जिन्हें यह राशि मिलनी है। इनमें मंडी के 89, कुल्लू के 59, भुंतर के 42, बैजनाथ के 20, मनाली के 20 और शिमला के दो सिख परिवार शामिल हैं।
खालसा ने बताया कि इस पूरे मामले को लेकर राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग की दो सदस्यीय टीम जल्द हिमाचल दौरे पर आएगी और पूरी स्थिति का जायजा लेगी। इस मौके पर गुरूद्वारा प्रबंधक कमेटी के जिला प्रधान सरदार हंसपाल सिंह व अन्य पदाधिकारी मौजूद रहे।
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