नाहन : करीब 12 हजार फीट की ऊंचाई पर तकरीबन 14 फुट बर्फ के बीच हर बरस की तरह इस साल भी योगी की साधना जारी है। लगभग दो सप्ताह से ब्रह्मचारी कमलानंद जी चोटी पर अकेले ही मौजूद हैं। करीब 20 साल पहले ब्रह्मचारी जी अपने समाधि में लीन हो चुके गुरु श्री श्यामानंद जी महाराज के सानिध्य में चोटी पर पहुंचे थे।
लगभग 18 साल पहले गुरु ने उन्हें बर्फ के दौरान चोटी पर रहने का आदेश दिया था, जिसकी पालना वो आज भी बरकरार रखे हुए हैं। ब्रह्मचारी विरेंद्रानंद जी ने भी चोटी पर बर्फ के दौरान कई साल बिताए हैं। अब वो नेरीपुल आश्रम की जिम्मेदारी को निभाते हैं। सनद रहे कि जिस समय समाधि में लीन हो चुके गुरु श्री श्यामानंद जी चोटी पर अकेले रहा करते थे, उस समय 30 फुट तक भी बर्फबारी हो जाया करती थी। साथ ही संसाधन भी नहीं थे। हालांकि बदलते वक्त में अब उनसे मोबाइल के जरिए बीच-बीच में संपर्क करना संभव हो जाता है। लेकिन बर्फ के बीच ऑक्सीजन की कमी कई मर्तबा जीवन पर भारी भी पड़ती है।
साधना व योग के बूते ब्रह्मचारी कमलानंद जी हर बरस चोटी पर विकट से विकट परिस्थितियों में भी खुद को सुरक्षित रखने में सफल हो जाते हैं। आश्रम से एक कदम भी बाहर रखना आसान नहीं होता। इसके बावजूद वो एक सुरंग के जरिए प्राचीन शिरगुल महाराज के मंदिर में पूजा-अर्चना को भी जारी रखते हैं। कई जगहों पर तेज हवाओं के कारण बर्फ के 20 फुट तक भी टीले बन चुके हैं। मई माह तक चोटी पर चढ़ाई पर प्रतिबंध है। मगर इस संभावना को भी नजर अंदाज नहीं किया जा सकता कि शिवरात्रि के पर्व पर श्रद्धालु मंदिर में न पहुंच जाएं।
एमबीएम न्यूज नेटवर्क से बातचीत में ब्रह्मचारी कमलानंद जी ने बताया कि मोबाइल चार्जिंग की थोड़ी बहुत व्यवस्था हैं। इसके जरिए ही उनका कुशलक्षेम श्रद्धालुओं व अन्य लोगों तक पहुंच जाता हैं। कुल मिलाकर चोटी पर ब्रह्मचारी जी की जबरदस्त बर्फ के बीच मौजूदगी इस बात को साबित करती है कि गुरु व शिष्य का रिश्ता कितना अटूट होता है।