नाहन : शहर के अरिहंत इंटरनेशनल स्कूल के छात्र सुशांत ने एक ऐसा कारनामा कर दिखाया है, जिसे देखकर सुशांत के हमउम्र भी वैसा ही करना जरूर चाहेंगे। बशर्ते कि वो भेड़चाल में चलने की आदत को छोड़ दें। अमूमन, विज्ञान संकाय में पढ़ने वाले किशोरों के सामने इंजीनियरिंग व निट के ही विकल्प होते हैं। यहां लगभग 17 साल के सुशांत ने एक ऐसी इबारत लिखी है, जो मिसाल बनी है।
दरअसल, सुशांत को स्कूल में ही एक ओवरसीज कैंप में हिस्सा लेने का मौका मिला था। इसके बाद इस बात को गांठ बांध लिया कि कुछ अलग करना है। जेईईई में संतोषजनक रैंक नहीं मिला। लेकिन वो जमा दो की पढ़ाई के साथ-साथ जर्मन लैंग्वेज का ज्ञान हासिल करते रहे, क्योंकि सुशांत को पता था कि इसी के बूते जर्मनी की बेहतरीन यूनिवर्सिटी में दाखिला हासिल कर सकते हैं। हुआ भी यही, 20 जनवरी 2020 से सुशांत जर्मनी की फ्रैंकफर्ट यूनिवर्सिटी में कंप्यूटर साईंस में बीटेक की पढ़ाई शुरू करेंगे।
यही नहीं, सुशांत को हर माह लगभग सवा लाख रुपए कमाने का मौका भी हासिल हुआ है। यूनिवर्सिटी में पढ़ाई निशुल्क होगी, इसी के साथ वो जर्मनी में ट्रांसपोर्ट सुविधा भी निशुल्क ही हासिल कर सकेंगे। दीगर है कि फ्रैंकफर्ट यूनिवर्सिटी जर्मनी के सबसे पुराने शैक्षणिक संस्थानों में शुमार है। एमबीएम न्यूज नेटवर्क के कार्यालय पहुंचे सुशांत ने अपनी सफलता के हरेक पहलू को बारीकी से बताने का प्रयास किया, ताकि उनके हमउम्र भी इस तरीके को अपनाकर अपना कैरियर बना सकें।
इस लिंक पर देखें व सुनें सुशांत की सफलता अपनी जुबानी
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सुशांत के मुताबिक जर्मन लैंग्वेज के अलग-अलग लैवल का स्कोर हासिल करना होता है। इसके साथ-साथ आपकी अन्य गतिविधियों के प्रमाणपत्र भी सार्थक होते हैं। लैंग्वेज टैस्ट को जर्मनी के दूतावास के जरिए आयोजित किया जाता है। उन्होंने बताया कि प्रोफाइल के आधार पर उन्हें जर्मनी के कई विश्वविद्यालयों से ऑफर लैटर मिले, लेकिन उन्होंने फ्रैंकफर्ट को चुना। पिता राजबीर सिंह ने बताया कि सुशांत ने शुरू से ही यह तय कर लिया था कि अगर जेईईई में रैंक नहीं हासिल होता तो वो विदेश में निशुल्क शिक्षा हासिल करने के अपने अन्य विकल्प खुद देखेंगे।
अरिहंत इंटरनेशनल स्कूल के प्रबंधक सचिन जैन ने बताया कि छात्रों के लिए अलग-अलग विकल्प तलाश करने के प्रयास परिसर में ही उपलब्ध करवाए जाते हैं। उनका कहना था कि छात्रों को एक ही दिशा में दौड़ नहीं लगानी चाहिए। बहरहाल, अहम बात यह भी है कि सुशांत को निशुल्क शिक्षा हासिल करने के बाद परिसर में ही प्लेसमेंट का मौका भी हासिल हो जाएगा।