हमीरपुर: संतोष कुमार ने कई साल की मेहनत के बाद सपनों का आशियाना संजोया था। मगर जब वहां परिवार के साथ रहने की बारी आई तो बेसमय आई मौत ने उन्हें सदा के लिए दूर कर दिया। गुमटी में लगी अचानक आग से संतोष कुमार की दर्दनाक मौत हो गई। आधी रात को ऐसी आग भड़की कि गहरी नींद में सोए संतोष कुमार को संभलने का मौका भी नहीं मिल पाया। उसका लगभग आधा शव जलकर राख हो गया।
अग्निकांड में संतोष कुमार के जान गवाने के बाद उनके दो बच्चों के सिर से पिता का साया उठ गया। छह वर्षीय बेटा ओर 4 वर्षीय बेटी पिता की याद में बिलख रहे हैं। अब उन्हें जिंदगी भर पिता के साथ से महरूम रहना पड़ेगा। करीब 14 साल पहले पुलिस में भर्ती हुए संतोष कुमार ने कुछ साल पहले घर बनाने का काम शुरू किया था, जो लगभग तैयार है। बस गृह प्रवेश बाकी था।
परिवार में तीन भाईयों में सबसे छोटे संतोष कुमार थे। सबसे बड़े भाई वीरेंद्र कारपेंटर हैं, उनसे छोटे भाई ठेकेदार हैं। संतोष परिवार में सबसे लाडले थे। करीब 8 साल पहले पिता श्रवण कुमार का देहांत हो गया था। संतोष कुमार का अंतिम संस्कार संधोल स्थित श्मशान घाट में कर दिया गया। हमीरपुर के डलवाणा गुजरां गांव में रविवार को हर आंख नम थी। अचानक संतोष कुमार की मौत ने सबको उदास कर दिया।