भुंतर: घोर कलियुग में आज पैसों को देख बड़ों-बड़ों का ईमान डगमगा जाता है। फिर भी इस युग में कही न कहीं किसी के अंदर ईमानदारी आज भी जिंदा है। इसकी एक मिसाल मलाणा गांव फर्स्ट में पढ़ने वाले छोटे से बच्चे परशुराम ने दी है। भुंतर के वरिष्ठ पत्रकार व जाने-माने समाज सेवी मेघ सिंह कश्यप का मणिकर्ण रोड़ हाथीथान के पास जेब से अचानक मोबाइल गिर गया। जब उन्हें अपने मोबाइल के गायब होने का पता चला तो कॉल कर संपर्क साधने की कोशिश की गई।
मोबाइल की रिंग बजी तो किसी ने उसे उठाया और कहा यह मोबाइल मुझे हाथीथान के पास सड़क पर मिला है। जब पत्रकार का लड़का राहुल मौके पर पहुंचा तो मलाणा के एक छोटे लड़के ने मोबाइल हाथ में पकड़ा था। यह लड़का मलाणा से पढ़ाई करने भुंतर आया है और हाथीथान के एक निजी स्कूल में फर्स्ट में पढ़ता है। हालांकि यह ईमानदार लड़का पत्रकार के बेटे का दोस्त ही निकला। सबसे प्राचीन संस्कृति से ओत-प्रोत मलाणा गांव का नाम भी इस बच्चे की ईमानदारी ने रोशन कर दिया।
छोटे बच्चे की ईमानदारी देख भुंतर-हाथीथान के लोग प्रशंसा किए बिना नहीं रह रहे हैं। कुल्लू को यूं ही देवभूमि नहीं कहा जाता, इस देवभूमि में आज भी इंसानियत जिंदा है। कुल्लू-मनाली सच्च में देवताओं की भूमि है यहां ईमानदार लोग बसते है। नन्हें ईमानदारी परशुराम के चर्चे अब समूची कुल्लू घाटी में हो रहे हैं। इस ईमानदारी का बच्चे को पत्रकार ने छोटा सा ईनाम भी दिया।
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