बिलासपुर : विश्व विख्यात तीर्थ स्थल श्री नयना देवी जी में स्वास्थ्य सुविधाएं नाम मात्र की ही रह गई हैं। कहने को तो नैना देवी मंदिर के नजदीक एक आयुर्वेदिक डिस्पेंसरी है। यहां से लगभग 3 किलोमीटर की दूरी पर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र भी है। परंतु इन दोनों स्वास्थ्य केंद्रों में तीमारदारों को भारी परेशानियों से गुजरना पड़ रहा है।
आयुर्वेदिक डिस्पेंसरी को एक मिड वाइफ द्वारा चलाया जा रहा है। जबकि सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र को फार्मासिस्ट के सहारे छोड़ दिया गया है। पत्रकारों द्वारा इन दोनों स्वास्थ्य केंद्रों का दौरा किया गया तो देखा की मरीजों को या तो मिड वाइफ द्वारा दवाईयां दी जा रही थी या फिर फार्मासिस्ट लोगों के उपचार हेतु दवाइयां आबंटित कर रहे थे। जहां तक सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र का प्रश्न है तो यहां पर इस समय 5 डॉक्टर्स के पद हैं, जिनमें से मात्र 2 डॉक्टर ही कार्यरत हैं।
एक डॉक्टर यदि रात्रि के समय अपनी सेवाएं देता है तो दूसरा डॉक्टर दिन में मरीजों को देखता है। परंतु आलम यह है कि दिन के समय एक भी डॉक्टर उक्त सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में नहीं था। जबकि मरीजों को फार्मासिस्ट ही देख रहा था। इतना ही नहीं स्वास्थ्य केंद्र में नेत्र विशेषज्ञ न होने के कारण भी लोगों को भारी दिक्कत पेश आ रही है। अगर किसी ने अपनी आंखें चैक करवानी हो तो उसे या तो स्वारघाट या फिर पंजाब की तरफ रुख करना पड़ता है।
गौरतलब है कि घवाडल स्थित इस स्वास्थ्य केंद्र में भाखड़ा से लेकर स्वारघाट तक के मरीज उपचार हेतु आते हैं। जबकि इस स्वास्थ्य केंद्र के अंतर्गत लगभग 15 से 20 पंचायतें आती हैं। इस बाबत जब सीएमओ बिलासपुर प्रकाश से बात की गई तो उन्होंने कहा कि मामले की छानबीन की जाएगी। उचित कार्रवाई अमल में लाई जाएगी। इसके अलावा आयुर्वेदिक डिस्पेंसरी में पिछले 3 दिन से डॉक्टर छुट्टी पर होने के कारण मिड वाइफ के सहारे ही डिस्पेंसरी को चलाया जा रहा है।
डिस्पेंसरी में डॉक्टर का एक ही पद है जबकि फार्मासिस्ट का पद रिक्त पड़ा हुआ है। इस बारे में जब जिला आयुर्वेदिक अधिकारी गोपाल शर्मा से बात की गई तो उन्होंने गोलमोल जवाब देते हुए कहा कि डेपुटेशन पर डॉक्टर भेजने के लिए ऊपर से अनुमति चाहिए होती है। जहां तक फार्मासिस्ट का सवाल है तो बहुत जल्द ही यह पद भर दिया जाएगा।
उल्लेखनीय है कि सन 2008 में नयना देवी में श्रावण अष्टमी मेले के दौरान भगदड़ में कई श्रद्धालुओं की जाने चली गई थी। उस समय यहां पर स्वास्थ्य सुविधाओं के बारे में बड़ी-बड़ी बातें की गई थी। परंतु धरातल पर कुछ भी नहीं हुआ। आज भी नयाना देवी में अगर किसी श्रद्धालु अथवा स्थानीय व्यक्ति को स्वास्थ्य से संबंधित कोई दिक्कत होती है तो उसे सीएचसी जाना पड़ता है या फिर पंजाब की ओर रुख करना पड़ता है। जहां तक आयुर्वेदिक डिस्पेंसरी का सवाल है तो यह शाम को 4 बजे बंद हो जाती है। उसके पश्चात स्थानीय लोगों के साथ-साथ श्रद्धालुओं को प्राइवेट क्लिनिक वालों पर निर्भर रहना पड़ता है।