ठियोग : उत्तर भारत की सबसे प्राचीन देवठीयो में से एक “चिखड़” के आराध्य देवता श्री चिखड़ेश्वर महाराज जी 17 दिसंबर मंगलवार से अपनी धवाला यात्रा शुरू करेंगे। इससे पहले ये यात्रा दिसंबर 2016 में हुई थी। देवता तीन साल पूरे कर इस यात्रा पर निकलते है। 17 दिसंबर को देवता अपने उत्पत्ति स्थान व मूल स्थान चिखड़ से झगेड़ी गाँव पहुंचेंगे।
झगेड़ी गाँव की बात की जाए तो ये गाँव देवता जदराई की देवठी है। देवता जदराई श्री चिखड़ेश्वर महाराज जी के “वजीर” है और देवता महाराज जी के साथ चिखड़ मे ही विराजते है। 17 दिसंबर की शाम को देवता महाराज झगेड़ी गाँव मे ही रुकेंगे। इनके साथ चलने वाले देवथु लोग व अन्य लोग भी यही रुकेंगे। 18 दिसंबर की सुबह झगेड़ी गाँव से देवता महाराज प्रस्थान करेगे और परगना खगालद की यात्रा करते हुए इसी परगने जनोटी गाँव पहुंचेंगे। यहाँ कुछ देर रुक कर देवता महाराज अपने देवथुओं के साथ आगे बढ़ेगे और परगना पोई के धरमाई, कोटि इत्यादि गाँव होते हुए परगना जैस के कछोर गाँव पहुंचेंगे।
रात को देवता महाराज इसी गाँव मे रुकेंगे। 19 दिसंबर की सुबह देवता महाराज कछोर गाँव से प्रस्थान कर माँ जेईश्वरी की देवठी जैस पहुंचेंगे और जैस में थोड़ी देर रुकेंगे। इस बीच परगना जैस के अन्य गाँव भी देवता महाराज जाएगें। फिर जैस से देवता महाराज अपनी आंशिक देवठी जनोग होते हुए नया बाजार ठियोग से गुजर कर शाम को परगना शिली नाली के टिक्कर गाँव पहुंचेंगे। 19 दिसंबर की शाम को देवता महाराज टिक्कर गाँव मे ही रुकेंगे। 20 दिसंबर की सुबह देवता महाराज पूरे टिक्कर गाँव और टिक्कर के साथ लगते गांवो का दौरा करेंगे और शाम को नेरी, सेरी, जुगो होते हुए परगना नथोथ के कीट गाँव पहुंचेंगे। 20 दिसंबर की शाम देवता महाराज कीट गाँव मे ही रुकेंगे। अगले दिन यानी 21 दिसंबर को देवता महाराज कीट गाँव से प्रस्थान करेगे। आसपास के सभी गांवो का दौरा कर देवता महाराज जी 21 दिसंबर की शाम को परगना शिली नाली के बलोवा गाँव पहुंचेंगे।
शाम को देवता महाराज बलोवा गाँव मे ही रुकेंगे। 22 दिसंबर की सुबह देवता महाराज बलोवा गाँव से तुंगला गाँव के लिए प्रस्थान करेंगे। तुंगला गाँव व बलोवा गाँव के आसपास के गाँव होते हुते देवता महाराज 22 दिसंबर की शाम को परगना शिली नाली के भड़ियाना गाँव पहुंचेंगे। शाम को देवता इसी गाँव मे ही रुकेंगे। 23 दिसंबर की सुबह देवता महाराज भड़ियाना गाँव से कुनली, रशेली व जुबड़ गाँव होते हुए शाम को परगना शिलिनाली के धनोत गाँव पहुंचेंगे।
दिन को देवता महाराज इन सभी गांवों के साथ साथ ठियोग प्रेमघाट व ठियोग बाजार के आसपास के कुछ इलाकों में भी जाएंगे। 23 दिसंबर की शाम को देवता महाराज धनोत में रुकेंगे। 24 दिसंबर की सुबह देवता महाराज धनोत से प्रस्थान करेगे और 24 दिसंबर की शाम देवता परगना घवालती के भलेच गाँव पहुंचेंगे। शाम को देवता यही रुकेंगे। 25 दिसंबर की शाम देवता महाराज परगना घवालती के जदेवग गाँव पहुंचेंगे। 25 दिसंबर की शाम को देवता महाराज जदेवग गाँव में ही रुकेंगे। 26 दिसंबर की सुबह देवता महाराज जदेवग गाँव से सनाना गाँव होते हुए शाम को गवाई पहुंचेंगे।
शाम को देवता महाराज गवाई में रुकेंगे। अगले दिन 27 दिसंबर की सुबह देवता महाराज डकाना गाँव के लिए प्रस्थान करेगे। शाम को डकाना गाँव मे रुक सुबह संधू होते हुए कथाल गाँव पहुंचेंगे और 28 दिसंबर की शाम कथाल गाँव मे रुकेंगे। 29 दिसंबर की सुबह कथाल गाँव देवता महाराज परगना पजेरो में प्रवेश करेंगे और 29, 30, 31 दिसंबर देवता महाराज जी परगना पजेरो के सभी गाँव की यात्रा करेगे और 01 जनवरी को परगना पजेरो करयाली, नोट और ठंडा गाँव होते हुए शाम को देवता महाराज जी अपने मूल स्थान व उत्पत्ति स्थान चिखड़ पहुंचेंगे। चिखड़ में देवता महाराज की शाम को भव्य जातर होगी और इसके बाद महाराज जी अपने डिम में प्रवेश करेंगे।
क्या है धवाला यात्रा
देवता श्री चिखड़ेश्वर महाराज जी तीन साल पूरे होने पर धवाला यात्रा पर निकलते है। धवाला का अर्थ है जमीन का लगान। तीन साल के बाद देवता महाराज जी अपने पूरे देश की यात्रा करते है और सभी की जमीन में जाकर उनकी जमीन पर रहने वाले लोगो से धवाला इकट्ठा करते है। साथ ही इस दौरान देवता महाराज जी लोगो को आशीर्वाद भी देते है।