शिमला : 265 करोड़ के छात्रवृति घोटाले में शिक्षा विभाग के चार अधिकारियों के खिलाफ आपराधिक केस चलाने के लिए सीबीआई ने राज्य सरकार से संपर्क साधा है। इन अधिकारियों पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप हैं। सरकार अगर मंजूरी देती है, तो चारों अधिकारियों के नाम सीबीआई द्वारा आरोप पत्र यात्री चार्जशीट में रखे जाएंगे। इस बहुचर्चित घोटाले को लेकर सीबीआई कोर्ट में जल्द चार्जशीट दाखिल करने की तैयारी में है। सीबीआई की चार्जशीट में शिक्षा विभाग के इन अधिकारियों के साथ आधा दर्जन बैंक और निजी शिक्षण संस्थान के कर्मचारी भी नामजद किए जाने की संभावना है।
चार्जशीट दाखिल करने से पहले जांच एजेंसी इस मामले में पहली गिरफ्तारी भी कर सकती है। सीबीआई जांच में सामने आया है कि एससी, एसटी और ओबीसी के मेधावी छात्रों की छात्रवृत्तियां निजी संस्थान डकार गए। मैट्रिक और पोस्ट मैट्रिक छात्रवृत्तियां छात्रों की फर्जी दाखिले से हड़पे गए। प्राप्त जानकारी के मुुताबिक ऊना व नंवाशहर के निजी शिक्षण संस्थानों ने छात्रवृत्ति हड़पने के लिए छात्रों की जाति को ही बदल देने का कारनामा कर डाला।
छात्रवृति की रकम ज्यादा हड़पने के लिए अनुसूचित जाति (एसी) के छात्र को अनुसूचित जनजाति (एसटी) का फर्जी छात्र बनाया गया। छात्रों की जाति बदलकर छात्रवृति हड़पने का यह खेल इसलिए खेला गया, क्योकि एसटी के छात्रों को एसी के छात्र से दोगुनी छात्रवृति मिलती है। अनुसूचित जाति के छात्र को 50,000 और अनुसूचित जनजाती के छात्र को 98,000 की छात्रवृति मिलती है। सीबीआई जांच में सामने आया है कि संस्थान में छात्रवृति की रकम ज्यादा हड़पने के लिए छात्रों की न केवल जाति ही बदल दी बल्कि छात्रों के विषय (संकाय) तक बदल दिए।
संस्थान छोड़ चुके छात्रों को संस्थान का फर्जी छात्र दिखाकर और उनके विषय बदल कर छात्रवृतियां हड़पी गई। छात्रवृति हड़पने के लिए राज्य के बाहर बैंको में छात्रों के बैंक खाते खेले गए। भ्रष्टाचार के इस सारे खेल में शिक्षा महकमे के अधिकारियों की पूरी शह रही। शिक्षा विभाग के तत्कालिन अधिकारियों को इसकी एवज में कमीशन दी जाती थी। कमीशन के इस खेल में निजी शिक्षण संस्थान ने शिक्षा विभाग के अधिकारियों से फर्जी छात्रों को ही छात्रवृति का पैसा दिया। ऐसे में अब सीबीआई की जांच में यह चारों अधिकारी नप गए हैं।