सुंदरनगर : पिछले लंबे समय से हिमाचल प्रदेश में अपराध जैसी घटनाओ में बढ़ोतरी हुई है। जिससे निपटने के लिए प्रदेश की जयराम सरकार लगातर प्रयास कर रही है। लेकिन इस लक्ष्य को हासिल करने को लेकर प्रदेश पुलिस के आलाधिकारी गंभीर नजर नहीं आ रहे हैं। थानों में चल रहे स्टाफ की कमी को लेकर संवाददाता ने जब पड़ताल की तो पाया की प्रदेश पुलिस पिछले कई वर्षों से थाना में जांच अधिकारियों व अन्य पुलिस कर्मियों की कमी से जूझ रही है।
पुलिस मुख्यालय इस समस्या को लेकर आजदिन तक कोई कारगर कदम उठाने में असफल रहा है। जांच अधिकारियों व अन्य पुलिस कर्मियों की कमी की समस्या से पुलिस को सुंदरनगर में भी सामना करना पड़ रहा है। सुंदरनगर सब डिवीजन के अंतर्गत दो अहम पुलिस थाना सुंदरनगर और बीएसएल थाना कालौनी आते हैं। इन दोनों पुलिस थानों में तैनात पुलिसकर्मी प्रस्तावित किरतपुर-मनाली फोरलेन, एनएच-21 चंडीगढ़-मनाली से लेकर शहर और 55 ग्राम पंचायतों में कानून व्यवस्था बनाने के लिए कार्यरत हैं। ऐसा नहीं है कि पुलिस थानों में ही कर्मियों का अभाव चल रहा बल्कि यही हाल सुंदरनगर उपमंडल के अंतर्गत आने वाली तीन पुलिस चौकियों सलापड़, निहरी और डैहर में भी है।
बता दें कि प्रदेश में थाना बनते समय उसमें कार्य करने वाले अधिकारियों व पुलिस कर्मियों की संख्या निर्धारित की जाती है। लेकिन जनसंख्या और क्राइम बढ़ने के बावजूद पुलिस थानों की स्ट्रैंथ अभी भी दशकों पुरानी चल रही है।
पुलिस मुख्यालय ने प्रदेश में रिजर्व बटालियन की तदाद 7 करने से पुलिस कर्मियों की तादाद बढ़ा तो दी है। लेकिन थानों में अभी भी अधिकारियों व पुलिस कर्मियों का टोटा चल रहा है। वहीं थानों में स्टाफ की कमी का एक अन्य प्रमुख कारण प्रमोशन टेस्ट व एचएचसी की बतौर एएसआई पदोन्नति भी है। प्रदेश में 150 से अधिक एचएचसी प्रमोट होकर एएसआई पद पदोन्नत किए गए हैं। लेकिन ज्वाइनिंग टाइम को लेकर अभी थानों में ज्वाइन नहीं कर पा रहे हैं।
प्रमोशन टेस्ट की अवधि अधिक होने के कारण एक जांच अधिकारी बनने के लिए लगभग 8 वर्ष और एएसआई के लिए 18 वर्ष का समय लग जाता है। इस समस्या के कारण एक पुलिस जांच अधिकारी स्टाफ की कमी होने के चलते फाइलों के बोझ के निचे ही दबा रह जाता हैं। इसका सबसे अधिक असर थानों के कामकाज और कर्मचारियों पर पड़ रहा है। वहीं इस समस्या को लेकर पुलिस विभाग के आला अधिकारी भी बात करने से बचते हुए नजर आ रहे हैं। लेकिन यक्ष प्रश्न अभी तक यही है कि कब तक इन थानों में चल रही अधिकारियों और पुलिस कर्मियों की कमी को पूरा किया जाएगा।