सोलन: शिमला की सीमा पर कुनिहार विकासखंड के दोची गांव सहित समूचा इलाका शोक में डूब गया। यह अलग बात है कि 22 साल के मनीष ठाकुर ने देश पर प्राण न्यौछावर कर समूचे क्षेत्र को गौरवान्वित किया है। बुधवार को शहीद मनीष ठाकुर की पार्थिव देह सर्विस एयरक्राफ्ट के जरिए लेह से चंडीगढ़ पहुंची। इसके बाद सड़क मार्ग से शहीद की पार्थिव देह को पैतृक गांव में पहुंचाया गया।
तिरंगे में लिपटे देख दादी नानकी देवी के आंसू थमने का नाम नहीं ले रहे थे। लेकिन वह यह भी समझ रही थी कि मनीष ने भारत मां की रक्षा में अपने जीवन की कुर्बानी दे दी है। देर दोपहर जब शहीद मनीष ठाकुर की अंतिम यात्रा शुरू हुई तो समूची घाटी देशभक्ति के जयघोष से गूंज उठी। छोटी सी उम्र में मनीष की शहादत को देख हर कोई भावुक हो उठा। बुधवार शाम करीब 4 बजे मनीष के बड़े भाई राहुल ने शहीद को नम आंखों से मुखाग्नि दी। पिता रामस्वरूप व माता मीरा देवी की आंखों से लगातार आंसू बह रहे थे।
शहीद की अंतिम यात्रा में इलाके का शायद ही कोई ऐसा घर होगा। जहां से किसी सदस्य ने शिरकत न की हो। इसके अलावा प्रशासनिक व राजनीतिक प्रतिनिधियों ने भी शहीद को श्रद्धासुमन अर्पित किए। उल्लेखनीय है कि सियाचिन ग्लेशियर में हिमस्खलन की चपेट में आ जाने से मनीष कुमार ने प्राण न्यौछावर कर दिए थे।
9 अप्रैल 1998 को जन्मे मनीष ने स्थानीय स्कूल में ही पढ़ाई की थी। वीरता व देशभक्ति का जुनून ऐसा था की कॉलेज की पढाई बीच में छोड़ कर सेना में भर्ती हो गए। दिसंबर 2017 से सेना की डोगरा रेजीमेंट में भर्ती हुए। सोमवार की देर शाम मनीष के हिमस्खलन की चपेट में आने की जानकारी गांव में पहुंच गई थी। इसके बाद सलामती को लेकर भी दुआएं मांगी जा रही थी। लेकिन धीरे-धीरे यह साफ हो गया कि मनीष ठाकुर ने भारत मां की रक्षा में अपने प्राणों की आहुति दे दी है।
दीगर हैै कि बेहद ही हंसमुख स्वभाव के मनीष के आकस्मिक चले जाने पर परिवार पर दुखों का पहाड़ टूटा है। बताया यह भी गया कि अपने स्वभाव की वजह से न केवल अपने बल्कि आसपास के गांवों में भी मनीष सबका चहेता था।