चंबा : सत्र न्यायधीश राजेश तोमर की अदालत ने गैर ईरादत्तन हत्या मामले में मां-बेटे को सजा सुनाई है। मामले के आरोपी परस राम पुत्र मुल्खु राम निवासी गांव टिपरी डाकघर गरोला तहसील (चंबा) और गीता देवी पत्नी मुल्खु राम निवासी टिपरी को सात साल का कारावास भुगतना होगा और 25 हजार रूपये जुर्माने का भुगतान करना होगा। जुर्माना न अदा करने की सूरत में मामले के आरोपियों को एक साल का अतिरिक्त कारावास भुगतना होगा। इस मामले की पैरवी जिला न्यायवादी विजय रेहलिया ने की। यह मामला सावित्री पत्नी टेक चंद निवासी गांव टिकरी तहसील भरमौर (चंबा) के ब्यान पर दर्ज हुआ।
सावित्री देवी ने बताया कि हमा राम उसका ताया ससूर था। हमा राम की पत्नी की मौत उसकी शादी से पहले हो गई थी। हमा राम की कोई संतान नहीं थी। हमा राम ने पारस को गोद लिया था। 19 मई 2016 को वह अपने खेत में गई थी। जब वे दोबारा अपने खेत की तरफ जाने लगी तो उसने देखा कि गीता देवी ने हमा राम को कॉलर से पकड़ा था। दूसरा आरोपी परस राम उसके साथ मारपीट कर रहा था। मारपीट के दौरान दोनों ने हमाराम को धक्का दे दिया और वह पत्थरों में जा गिरा। जिससे उसे माथे पर चोट लगी और खून बहने लगा।
इसके बाद वो अपने खेतों की तरफ चले गई। लेकिन जब वह अपने खेतों से वापिस आई तो उसने देखा कि हमाराम पत्थरों के समीप बैठा था और आरोपी परस राम भी रास्तें पर था। जबकि गीता देवी अपने घर में बरामदे में थी। अगले दिन सुबह जब वह अपने गौशाला में जाने लगी तो दिनेश और अनिल ने उसे बताया कि हमा राम की मौत हो गई है। इसके बाद उसने अपने पति को हमाराम की मौत बारे बताया। सावित्री ने बताया कि हमा राम एक बुजुर्ग था जो जख्मों को सहन नहीं कर पाया। सावित्री ने पुलिस को अवगत करवाया। पुलिस ने मामला दर्ज कर जांच शुरू की। पुलिस ने जांच के बाद अदालत में चालान पेश किया। इस मामले में 13 गवाहों के ब्यान हुए। इसके बाद अदालत ने शुक्रवार को अपना फैसला सुनाया।