सोलन : सोचिए, उस परिवार पर क्या गुजर रही होगी, जिसके इकलौते 27 साल के बेटे ने देश पर अपने प्राण न्यौछावर कर दिए हों। मगर तीन दिन तक बेटे की पार्थिव देह घर न पहुंचे। बुधवार को ग्लोबल इंवेस्टर मीट में प्रधानमंत्री ने खुद इस बात का जिक्र किया कि प्रदेश के हरेक घर से एक बेटा देश सेवा कर रहा है।
अब सवाल उठता है कि क्यों एक शहीद की पार्थिव देह को तीन दिन से श्रीनगर से नहीं लाया जा सका। तर्क, यह दिया जा रहा है कि मौसम खराब होने की वजह से उड़ान नहीं हो सकी। इस पर भी संशय इस कारण है, क्योंकि सामान्य तौर पर उत्तर भारत में मौसम खुष्क था। जानकारों की मानें तो विशेष हेलीकॉप्टर से सीधे ही पार्थिव देह को सोलन लाया जा सकता था। हैरान कर देने वाली बात यह है कि मुख्यमंत्री को भी शायद उनके करीबियों ने 27 साल के युवक की शहादत की खबर न पहुंचाई हो।
सीएम के अधिकारिक फेसबुक पेज पर केवल ओर केवल ग्लोबल इंवेस्टर मीट ही छाई हुई है। गौरतलब है कि मुख्यमंत्री ने आज सुबह ट्विटर पर शोक संतृप्त परिवार को संवेदना प्रकट कर औपचारिकता पूरी कर दी थी। इसमें भी कोई दोराय नहीं है कि ट्विटर का इस्तेमाल प्रदेश में बड़े स्तर पर नहीं होता है। सोशल मीडिया में फेसबुक का दबदबा है। बताते हैं कि सेना के पास नाइट विजन हेलीकॉप्टर भी उपलब्ध हैं। गौरतलब है कि केंद्र व राज्य सरकारें सेना के पराक्रम को लेकर बड़े-बड़े कसीदे पढ़ती है, लेकिन एक शहीद के शव को घर तक पहुंचाने के लिए शायद इस कारण गंभीरता नहीं दिखाई जाती, क्योंकि वो एक सिपाही रैंक का शहीद है। सूत्रों की मानें तो सिविल प्रशासन ने राजकीय सम्मान के साथ अंतेष्टि की पूरी तैयारी कर ली थी। प्रशासनिक अधिकारी भी अंदरखाते इस बात पर हैरान हैं कि आखिर तीन दिन तक क्यों पार्थिव देह घर नहीं पहुंची।
अहम बात यह भी है कि अगर सड़क मार्ग से भी पार्थिव देह को घर भेजा जाता तो 20 से 24 घंटे के भीतर घर पहुंच जाती। पार्थिव देह के घर देरी से पहुंचने पर अब परिजनों को तिरंगे में लिपटे बेटे को गले लगाने के चंद मिनट ही मिलेंगे। इसका उदाहरण, सिरमौर के कोटला पझोला के शहीद अजय से भी जुड़ा हुआ है। मात्र 3 से 5 मिनट ही शहीद की देह घर पर रुक पाई थी। इस घटनाक्रम ने इस बात पर भी सवाल उठा दिया है कि क्या इतनी संवेदनहीनता सिस्टम में आ चुकी है कि एक उस परिवार का दर्द नहीं समझा जा रहा, जिसने अपना इकलौता लाल खो दिया है। बहरहाल उम्मीद की जानी चाहिए कि शहीद भीम बहादुर पुन की पार्थिव देह शनिवार सुबह तक पहुंच जाएगी।
उधर सोलन के एसडीएम रोहित राठौर का कहना था कि प्रशासन सुबाथू रेजीमेन्ट के साथ संपर्क में है। उनका कहना था कि इस बारे कुछ नहीं कहा जा सकता कि पार्थिव शरीर के पहुंचने में देरी क्यों हो रही है।