शिमला: हिमाचल हाईकोर्ट ने प्रदेश सरकार को गौसदन व गौशालाएं खोलने के मामले में चार सप्ताह के भीतर स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया है। मुख्य न्यायाधीश एल.नारायण स्वामी और न्यायमूर्ति धर्म चंद चौधरी की खंडपीठ ने यह आदेश डाॅक्टर नितिन व्यास की याचिका पर सुनवाई करते हुए दिए। नितिन व्यास अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष हैं। उन्होंने याचिका में आरोप लगाया है कि पूरा प्रदेश आवारा पशुओं की समस्या से जूझ रहा है। लोग अपने मवेशियों को आवारा हालत में छोड़ देते हैं। प्रदेश में लगभग 32 हजार आवारा मवेशी हैं। जिन्हें यहां की सड़कों राष्ट्रीय राजमार्गों पर घूमते हुए देखा जा सकता है। जिससे हर साल सैकड़ों दुर्घटनाएं होती हैं। जिसके परिणाम स्वरूप मानव जीवन के साथ-साथ इन निर्दोष जानवरों के जीवन को भी नुकसान होता है।
याचिकाकर्ता ने राज्य में आवारा पशुओं के खतरे को रोकने के लिए उठाए जाने वाले कदमों के बारे में माननीय उच्च न्यायालय द्वारा जारी आदेशों के अनुपालन के लिए राज्य को निर्देश देने का अनुरोध किया है। उन्होंने यह भी अनुरोध किया है कि अधिकारियों और महिला मंडल सदस्यों द्वारा गांवों की आम भूमि की पहचान की जाए। पंचायतों को निर्देश दिया जाए कि वे अपने अधिकार क्षेत्र को आवारा पशुओं से मुक्त रखें। याचिकाकर्ता ने स्थानीय प्रशासन से गौशालाओं और गौसदनों को चलाने में मदद करने के लिए एनजीओ और जानवरों के लिए सेवा करने वाले व्यक्तियों को संबद्ध करने का निर्देश देने का भी अनुरोध किया है। साथ ही यह भी कहा कि उन्हें मालिक का पता लगाने में आसान बनाने के लिए एक नंबर के साथ टैग करें।
न्यायालय ने बीते 16 अक्टूबर के अपने पिछले आदेश में राज्य सरकार को गोसदन व गौ अभयारण्य खोलने के लिए उठाए गए कदमों और उनमें दी गई सुविधाओं के संबंध में रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया था। इस पर राज्य सरकार ने कुछ जिलों को लेकर स्टेटस रिपोर्ट दायर की थी। मामले की सुनवाई के दौरान अदालत ने कहा कि सर्दियों के मौसम को ध्यान में रखते हुए, राज्य सरकार को राजमार्गों से मवेशियों को भेजने के लिए कुछ तत्काल कदम उठाने चाहिए ताकि आवारा पशुओं के कारण होने वाली दुर्घटनाओं से बचा जा सके। खंडपीठ ने यह भी कहा कि दायर की गई स्टेटस रिपोर्ट केवल छह जिलों के संबंध में थी और इस तरह राज्य सरकार सभी जिलों में उठाए गए कदमों को लेकर चार सप्ताह के भीतर नई स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करे। मामले की अगली सुनवाई फरवरी 2020 के अंतिम सप्ताह में होगी।