शिमला (एमबीएम न्यूज): शुक्रवार को हिमाचल के तमाम मंत्रियों ने संयुक्त बयान में आशंका जता दी थी कि देश के स्थापित कांग्रेस नेताओं के खिलाफ झूठी एफआईआर दर्ज करने की कोशिश की जा रही है। साथ ही मंत्रियों ने वीरभद्र सिंह को झूठे मामलों में फंसाने के लिए केंद्रीय जांच एजेंसी के दुरुपयोग की भी आशंका जाहिर की थी।
हॉलीलॉज में प्रवेश करतीस सीबीआई की टीम।संभवत: छापेमारी की खबर मिलने के बाद ही सरकार के मंत्रियों ने संयुक्त बयान जारी किया होगा। इस बयान की समीक्षा साफ बताती है कि सरकार अलर्ट पर रही होगी। बयान में कहा गया था कि आय से अधिक संपत्ति का मामला कोर्ट में विचाराधीन है। अहम बात यह है कि साफ तौर पर कांग्रेसी नेताओं ने कहा था कि उनके खिलाफ झूठी एफआईआर दर्ज करने के प्रयास किए जा रहे हैं। मंत्रियों ने कहा था कि जहां तक मुख्यमंत्री की आयकर से संबंधित मामलों का सवाल है तो अपील प्राधिकारियों व न्यायालयों में मामले लंबित हैं।
सीबीआई पहले भी इसकी विस्तृत जांच कर प्रारंभिक जांच रिपोर्ट को सिल्ड कवर में दिल्ली हाईकोर्ट को सौंप चुकी है। राजनीतिक हलकों में यही सवाल उठ रहा है कि क्या मोदी सरकार के खिलाफ टिप्पणी करना महंगा पड़ा। अगर वीरभद्र सिंह के सिपाहसलार मुकेश अग्रिहोत्री के आज दिए गए बयान पर गौर किया जाए तो उन्होंने कहा है कि दिल्ली हाईकोर्ट में सीबीआई को स्टेटस रिपोर्ट 14 अक्तूबर को सौंपनी है। सवाल यह भी उठाया गया कि जब 2 अक्तूबर तक सीएम को भी जवाब दाखिल करना था तो दबिश क्यों दी गई।
संयुक्त बयान में मंत्रियों के हस्ताक्षर।पंचायतीराज चुनाव से पहले इस राजनीतिक भूचाल के दूरगामी नतीजे सामने आने की आशंका भी अब पैदा हो गई है। उधर अंतिम समाचार तक सीबीआई की दबिश जारी होने की बात कही जा रही थी। अधिकारिक तौर पर सीबीआई ने देरशाम तक कोई भी बयान जारी नहीं किया। अलबत्ता भाजपा ने इस मुद्दे को हाथोंहाथ लिया है। जहां कांग्रेस मोदी सरकार के खिलाफ सडक़ों पर उतर आई, वहीं भाजपा ने भी चारों तरफ से वीरभद्र सिंह की आलोचना में कोई कमी नहीं रखी।