शिलाई : उपमंडल के करीब 80 फीसदी इलाके का संपर्क वीरवार को चौथे दिन भी शेष भारत से कटा रहा। सतौन के समीप कच्ची ढांग में हाईवे के धंस जाने व भू-स्खलन के कारण आवाजाही भी ठप है। प्रशासन ने वैकल्पिक व्यवस्था करने का तर्क दिया था। हालांकि बमुश्किल इस वैकल्पिक मार्ग को बहाल तो किया गया, लेकिन संकीर्ण रोड़ पर भारी वाहनों के दौड़ने से जाम के हालात पैदा हुए। साथ ही वीरवार को दो वीडियो ऐसे सामने आए, जिसमें साफ नजर आ रहा है कि सवारियों से भरी दो निजी बसें कैसे जोखिम उठाकर नदी को पार कर रही हैं।
ठीक एक साल पहले क्षेत्र के पूर्व विधायक बलदेव तोमर को जयराम सरकार ने खाद्य आपूर्ति निगम का उपाध्यक्ष बनाया था। अक्तूबर के महीने में ही तोमर की ताजपोशी हुई थी। यह भी सर्वविदित है कि तोमर की मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर से काफी नजदीकियां हैं। सरकार बनने के बाद दक्षिण भारत के टूर पर भी गए थे। अब सोशल मीडिया में तीखे सवाल पूछे जा रहे हैं। भाजपा से इस प्रश्न का जवाब मांगा जा रहा है कि क्या चार दिन बीत जाने के बाद हाईवे को बहाल करने के लिए किसी आधुनिक तकनीक का इस्तेमाल हुआ है या नहीं। लोगों की मानें तो बेहद ही धीमी गति से हाईवे को बहाल करने की कोशिश की जा रही है।
वीरवार दोपहर के बाद से ही सोशल मीडिया में इस बात को लेकर आलोचना हो रही है कि वैकल्पिक मार्ग को बहाल करने का दावा झूठा साबित हुआ है। उल्लेखनीय है कि इसी हाईवे से शिमला के चौपाल उपमंडल की भी दर्जनों पंचायतें जुड़ी हुई हैं, लेकिन उन इलाकों में टौंस नदी को पार कर उत्तराखंड पहुंचने का विकल्प मौजूद है। हैरानी इस बात पर भी है कि आपातकालीन स्थिति में राज्य सरकार हेलीकाप्टर की भी व्यवस्था करने को अब तक तैयार नहीं हुई है। गनीमत इस बात की है कि हालात नियंत्रित हैं।