शिमला : जब वो हिमाचल मंत्रिमंडल को छोड़कर संगठन में गए थे तब शायद किसी ने सोचा भी नहीं होगा कि एक समय ऐसा भी आएगा, जब वो दुनिया के सबसे बड़े राजनीतिक दल का राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष बन कर लौटेंगे। देवभूमि से किसी ने ऐसा रिकॉर्ड पहले नहीं बनाया था, भविष्य में भी ऐसे होने के आसार नहीं है।
रामनवमी के अवसर पर राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष बनने के बाद पहली बार घर आये नड्डा मंच पार भावुक भी नजर आये। बोले, आज जैसे पार्टी कार्यकर्ता तैयारी में लगे थे वो भी ऐसे ही लगे रहते थे। वक्त की करवट है, धूमल सरकार में मंत्री थे, लेकिन आज धूमल मंच पर इस्तकबाल में बैठे थे। सीएम जयराम ठाकुर ने भी मंच से इस बात का जिक्र किया की दुनिया की सबसे बड़ी राजनितिक पार्टी का मुखिया घर आया है।
प्रदेश की राजनीति से निकलकर राष्ट्रीय पटल पर प्रदेश के एक सितारे ने दूरदर्शिता, कुशल राजनीतिक प्रबंधन, चुनावी कौशल में महारत हासिल कर आज लुटियन्स की दिल्ली में एक महत्वपूर्ण राजनीतिक शख्सियत के तौर पर अपनी पहचान बनाई है। जी हाँ, हम बात कर रहे हैं बीजेपी के राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष जेपी नड्डा की। पार्टी में मोदी व शाह के बाद नड्डा तीसरे ऐसे रणनीतिकार हैं, जिनकी राजनीतिक गलियारों में गूंज देश के हर कोने में गूंज रही है।
हिमाचल के इतिहास में सोमवार का दिन महत्वपूर्ण घटनाओं में दर्ज हो गया। शायद किसी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष को लेने के लिए पहली दफा प्रदेश के मुख्यमंत्री उड़न खटोले से जेपी नड्डा को लेने स्वयं दिल्ली गए। दिल्ली से आनंदपुर साहिब आगवानी करने के लिए प्रदेश दिग्गज भाजपाई भी भारी संख्या में उमड़े। ऐसे स्वागत की अपेक्षा शायद नड्डा ने भी नहीं की होगी। कहते हैं कईं व्यक्तियों की जन्म कुंडली में बचपन से ही राजयोग की रेखा खींची होती हैं। नड्डा के जीवन में भी शायद ऐसा ही है।
राजनीतिक जीवन की शुरुआत हालांकि पटना विश्वविद्यालय से हो गई थी। मगर, पहली दफा इसको पंख हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय में एबीवीपी से एससीए के अध्यक्ष के रूप में निर्वाचित होकर मिली। यह सफलता इसलिए महत्त्वपूर्ण थी, क्योंकि आज तक इस पद पर एसएफआई संगठन को ही सफलता मिली थी। इस मिथक को तोड़ने के बाद नड्डा कुछ दिन भारतीय जनता युवा मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष भी रहे।
पहली दफा 1993 में वह विधायक बने। 1994 से 1998 तक वह विधानसभा में विपक्ष के नेता भी रहे। 1998 में वह दोबारा जीते और स्वास्थ्य व संसदीय मामलों के कैबिनेट मंत्री बने। 2007 में उन्हें फिर से चुनाव जितने का अवसर मिला। वन एवं पर्यावरण विभाग के मंत्री बने का मौका मिला। मगर, केंद्र में उनकी जरुरत महसूस हुई। उन्हें दिल्ली आने का फरमान सुनाया गया। तत्काल मंत्री पद से इस्तीफा देकर नड्डा केंद्र की राजनीति में चले गए। यहां से नड्डा ने सफलता का एक अलग दौर आरंभ किया।
2012 में नड्डा को राज्यसभा से संसद जाने का मौका मिला। उन्हें मोदी सरकार ने स्वास्थ्य मंत्रालय की महत्त्वपूर्ण जिम्मेदारी सौंपी। 5 साल शानदार काम किया। वर्ष 2019 में 30 मई को वह विश्व की सबसे बड़ी राजनीतिक पार्टी भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष बने। आज नड्डा जिस तरह से सफलता की सीढ़ियां चढ़ते जा रहे हैं। वह हिमाचल प्रदेश के लिए गौरव का विषय है।