मंडी : सायर का त्योहार जिला में बड़े ही हर्षोल्लास के साथ मनाया गया। इस दौरान लोगों ने अपने घरों में मौसमी जड़ी बूटियों की पूजा-अर्चना की। नई फसल के अनाज के अंश को भी भगवान को अर्पित किया। पर्व को लेकर ऐसी मान्यता है कि यह पर्व बरसात के मौसम के चले जाने और शरद ऋतु के आगमन को लेकर मनाया जाता है। इस दौरान मौसमी जड़ी बूटियों जैसे धान, मक्की, पेठू, खीरा, गलगल, कूरी, कोठा, द्रीढ़ा आदि की पूजा अर्चना की जाती है।
सभी के मंगल भविष्य की कामना की जाती है। इस दिन नवविवाहित महिलाएं भादो का काला महिना अपने मायके में बिता कर अपने ससुराल वापिस आती हैं। इस दिन नवविवाहिताएं अपने सास-ससुर को अखरोट व दु्रवा देकर आशीर्वाद लेती हैं। सायर की पूजा करके सभी के लिए मंगल भविष्य की कामना करते हैं। दूसरे दिन पूजा की सामाग्री को जल में प्रवाहित किया जाता है। अश्विन मास की संक्रांती को मनाया जाने वाला यह त्योहार हमारी परंपरा और संस्कृति से जुड़ा हुआ है, जो आज भी कायम है। लोग ऐसे त्योहारों को बड़े ही हर्षोल्लास के साथ मनाते हैं।
इस त्योहार के पीछे यह भी मान्यता है कि अक्सर बरसात के मौसम में बड़े स्तर पर जान माल की हानी होती है। उसी से बचाव के बाद इस पर्व को मनाया जाता है। तभी इस दिन प्राकृतिक चीजों की पूजा अर्चना कर प्रकृति का आभार जताया जाता है। सायर पर्व के दौरान लोग अपने घरों में तरह-तरह के व्यंजन व पकवान रिश्तेदारों व आस पड़ोस के लोगों को खिलाते हैं। सायर के दिन व बाद में कई स्थानों पर मेलों का आयोजन भी करवाया जाता है। जिला प्रशासन की ओर से भी सायर के दिन स्थानीय अवकाश की घोषित किया जाता है।