नाहन : हालांकि आजकल आम देखने को भी नहीं मिलते। परंतु राजगढ़ के फागू के एक बागवान ने आम के पेड़ को लगभग 4700 फुट की ऊंचाई पर बड़ी युक्ति से पाल कर जीवित रखा है। देवदार के अलावा सेब, आड़ू, खुमानी, नाशपति की पैदावार के लिए जाने जाने वाले इस इलाके में आम के इस पेड़ ने लोगों को दांतो तले उंगली दबाने को मजबूर कर दिया है। हालांकि इसे बहुत पहले रोपा गया था। मगर सोशल मीडिया में जानकारी आने के बाद एमबीएम न्यूज़ ने इसकी तफ्तीश की। जिसमें पाया गया की इस पौधे में अक्तूबर से नवंबर तक खूब मीठे आम पकते रहते हैं। इन दिनों भी आम की बहार है।
आमतौर पर आम का पेड़ अधिक से अधिक 3000 फुट की ऊंचाई तक पनप सकता है। लेकिन फागू के शेरजंग चौहान ने यह कारनामा 4700 फुट की ऊंचाई पर कर दिखाया है। जी हां, उन्होंने आम का एक पेड़ बर्फ पड़ने वाले क्षेत्र में उगा रखा है, जिसमें लगभग अगस्त से नवंबर तक आम का स्वाद लेते रहते हैं। मित्रों रिश्तेदारों और परिवार वालों को बांटते रहते हैं। यह 200-ं400 ग्राम का नाममात्र पतली गुठली का आम है। स्वाद में खुशबू लिए यह आम बहुत ही मीठा है।
ठंडा क्षेत्र होने के चलते आम का फल काफी दिनों तक सुरक्षित रहता है। इस आम के पौधे को 1992 में धौलाकुआं से लाकर ताया रामदयाल की याद में रोपा गया था। ठंडा क्षेत्र होने के कारण इसकी काफी देखभाल की गई। सर्दियों में इस पर घास की झोंपड़ी बनानी पड़ती थी। उसके लगभग सात साल बाद आम की पूरी फसल हुई। जिसमें लगभग 250 आम लगे थे। हालांकि बेमौसमी आम होने के कारण आम के शौकीन 100 रुपए प्रति आम भी मांग रहे थे।
हालांकि पुख्ता टिप्पणी उपलब्ध नहीं है, लेकिन माना जा रहा है कि समूचे विश्व में देवदार के पेड़ की ओट में आम का पेड़ दुर्लभ हो सकता है। वो भी ऐसा पेड़, जो सर्दियों में फल देता है। उल्लेखनीय है कि क्षेत्र के नामी लेखक व बागवान शेरजंग चौहान ने वीरभद्र सिंह को बतौर मुख्यमंत्री इस फल का जब स्वाद चखाया था तो वो भी हैरान रह गए थे।