नाहन (एमबीएम न्यूज): ‘‘खुदा तू मेरे कातिल को हुनरमंदी अता कर दे, मुझे मुर्दा समझ कर जिन्दा छोड़ जाता है’’ देहरादून जनपद से आए मशहूर शायर राशिद आरफी के कुछ ऐसे ही लाजवाब शेरों से बुधवार को जिला मुख्यालय नाहन गुलजार हुआ। मौका था भाषा विभाग द्वारा आयोजित जिला स्तरीय कवि सम्मेलन का। कार्यक्रम में एसपी सिरमौर सौम्या सांबशिवन ने बतौर मुख्यातिथि शिरक्त की। जबकि कार्यक्रम की अध्यक्षता देहरादून से आए शायर राशिद आरफी ने की।
कवियों को हिन्दी दिवस की बधाई देते हुए एसपी सौ या सांबशिवन ने कहा कि एक साहित्यकार ही मजहब में बंटे लोगों को एक सूत्र में बांध सकता है। केवल साहित्य से जुड़े लोग ही हर मजहब को प्रेम का संदेश देकर एक दूसरे से प्रेम के साथ रह सकते हैं। इस मौके पर सौम्या ने मुक्तिबोध की कविता सुनाने के साथ-साथ फरीदा खातून की लिखी गजल-‘‘आज जाने की जिद न करो’’, को तरन्नुम में पेश कर खूब वाहवाही लूटी। पूरे कार्यक्रम दौरान कवि खूबसूरत सौम्या की अदाओं के कायल रहे।
देहरादून से आए मशहूर बुजुर्ग शायर ने अपनी शायरी से सम्मेलन में खूब समां बांधा। उनके दो शेर देखिए-गो-हसरतों उम्मीद ने दम तोड़ दिया है, दरवाजा मगर मैंने खुला छोड़ दिया है। पौधा लगा के साए की वाहिश में सो गया, जागा तो दूर-दूर तक शजर ढूंढता रहा। वरिष्ठ कवि दीपचंद कौशल के तरन्नुम गीत- ‘‘कभी ऐसा वक्त भी आए तो, तू हर वक्त मेरे साथ हो’’, ने खूब वाहवाही लूटी। चिरानंद ने-मत डिस्टर्ब करो प्रिय आज हम लिखने पर डटे हैं।
नासिर यूसुफजई ने-‘‘यूं भी नासिर अह्ले दिल आंसू बहाते हैं कभी, सिसकियां लेता है दिल और आंख तर होती नहीं’’ सुना कर खूब तालियां बटोरी। युवा कवि पंकज तन्हा ने प्रशासनिक अधिकारी पर लिखी अपनी गज़ल-अपने ‘‘गेसूओं को शानों पर बिखराए हुये, बैठे हैं वो फलक तक तलातुम उठाए हुए’’, अनंत आलोक ने- ‘‘कसम तुमको न डालो दाल भाजी आज थाली में, नमक के साथ रख देना जरा सा प्याज थाली में’’, सुना कर खूब दाद पाई। इस अवसर पर जिला भाषा अधिकारी अनिल हारटा, बाबू जयकिशोर, रमेश कुमार आदि उपस्थित रहे।