रिकांगपिओ : जिला में भी मौसम का रौद्र रूप देखा जा रहा है। यहां के सभी नदी-नालों का जलस्तर उफान पर है। किन्नर कैलाश की पहाड़ियों से निकलने वाली तांगलिंग खड़ का भी जलस्तर बढ़ा है। सतलुज नदी का जलस्तर बढ़ने से 1000 मैगावाट की कड़छम-वांगतू परियोजना के चार गेटों में से दो गेट खोल दिए गए हैं। सतलुज नदी का जलस्तर भी काफी ज्यादा बढ़ गया है। शनिवार देर रात से ही किन्नौर के अधिकांश क्षेत्रों में रुक-रुक कर वर्षा हो रही है। यहां तक कि शीत मरुस्थलीय क्षेत्रों में भी बारिश हो रही है।
जिला के कई क्षेत्रों में तेज बारिश के कारण बादल फटने की घटनाएं हुई है। बताया जाता है कि शनिवार देर रात पानवी की पहाड़ियों पर बादल फटने से आई बाढ़ से 4 मैगावाट की निर्माणाधीन ऐसन्ट हाइड्रो पावर प्रोजेक्ट के ट्रेंच वियर को काफी नुकसान पहुंचा है। बाढ़ का जलस्तर अधिक होने के कारण नुकसान का अभी अनुमान नही लगाया जा सका है। इसी तरह रुनग की पहाड़ियों पर भी बादल फटने से आई बाढ़ से चोलिंग के निकट रुनग नाले के पास एनएच-5 कई घण्टे अवरुद्ध रहा। एनएच प्राधिकरण द्वारा रविवार करीब 2 बजे अवरुद्ध मार्ग को बहाल किया गया।
इसी तरह ककस्टल के पास भी पहाड़ी से बारी मलबा एनएच-5 पर बहने से पागल नाला रविवार करीब पूरे दिन अवरूद्ध रहा। इसी प्रकार रालडंग नाले में भी बारी मात्रा में मलवा आने से स्किब्बा के पास एनएच अवरूद्ध हुआ है। स्किब्बा अवरूद्ध मार्ग को बहाल करने में सीमा सड़क संगठन मुस्तेद दिखा। इसी तरह स्पिलो, शासो खड़, निगुलसरी, नाथपा आदि स्थानों को रविवार कई घण्टे सड़क मार्ग अवरूद्ध रहा। देर शाम रिकांगपिओ से शिमला की और छोटे बड़े सभी प्रकार के वाहनों की सीधी आवाजाही शुरू हो गई। बारी बारिश के कारण जिला के कई स्थानों से लोगों के खेत खलियानों में ढंगे गिरने की भी सूचनाएं प्राप्त हो रही है।
मीरु व यूला की पहाड़ियों पर भी तेज बारिश होने से यूला नाले का जलस्तर बढ गया । नाले का जल स्तर बढ़ने से रांगले नामक स्थान पर पुराना हिंदुस्तान-तिब्बत सड़क मार्ग पूरी तरह अवरुद्ध हो गया है। अस्थाई पुल के पूरी तरह क्षतिग्रस्त होने से इस मार्ग पर वाहनों की आवाजाही भी पूरी तरह ठप हो गई है। रविवार को अवरूद्ध मार्ग को बहाल करने का कार्य लोक निर्माण विभाग भाबा नगर मण्डल शुरू नही कर पाया है।