हमीरपुर : सोशल वालंटियर ऑर्गेनाइजेशन नेचुरल व डिसएबल एसोसिएशन ने एचआरटीसी हमीरपुर आरएम की कार्यशैली पर कड़ी आपत्ति जताई तथा ड्राइवर से मिली भगत का भी अंदेशा भी जताया। गत दिनों परिचालक को ऊना में छोड़ कर तथा चंडीगढ़ के लिए बिना कंडक्टर के ही गाड़ी को भगा ले जाने तथा यात्रियों को बस स्टैंड पर छोड़ने की घटना पर सोशल वालंटियर ऑर्गेनाइजेशन हिमाचल प्रदेश ने आरएम के प्रति कड़ा संज्ञान लिया है।
एसबीओ ने कहा है कि यह घटनाक्रम आरएम की मूक स्वीकृति से हुआ है। ऊना से ही परिचालक ने घटना की जानकारी आरएम क्षेत्रीय प्रबंधक को उपलब्ध करवा दी थी, तो आरएम ने अपना विभागीय फोन स्विच ऑफ क्यों रखा था। लगता है यह सारा घटनाक्रम आरएम की मूक स्वीकृति से ही हुआ है।
बस में मरीज जो पीजीआई जाते हैं, उनको पेशाब इत्यादि करने के लिए भी चालक ने बस को नहीं रोका। यह दर्शाता है की चालक अपने आप में आरएम से भी ऊंचे पद पर कार्यरत है। उसे न तो कंडक्टर की आवश्यकता है ना डीएम की आवश्यकता है और न ही आरएम की आवश्यकता। वह एक निरंकुश कर्मचारी है, जिसे नियमों और दिशा-निर्देशों से कोई लेना-देना नहीं है। सवारियों के साथ अभद्र व्यवहार करता है। पूरी जानकारी आरएम को होने के बावजूद लगभग आधा दर्जन ऑनलाइन शिकायत पत्र विभाग को सवारियों द्वारा डालने के बावजूद आरएम के कान पर जूं तक नहीं रेंग रही है। विवेक लखनपाल जानबूझकर के मामले को उलझा रहे हैं।
जब बिना कंडक्टर के बस 1 किलोमीटर तक नहीं जा सकती तो ऊना से चंडीगढ़ तक 120 किलोमीटर गाड़ी चली गई। आरएम द्वारा रोकना चाहिए था, क्योंकि विभाग की फ्लाइंग जगह-जगह खड़ी होती है। फोन करके बस को रोकना चाहिए था, जबकि चंडीगढ़ 43 सेक्टर मे भी एचआरटीसी का ऑफिस है, जहां आरएम सूचित कर सकते थे।
ऊना से जो सवारिया चंडीगढ़ के लिए बैठी उनका किराया ड्राइवर ने लिया या नहीं लिया यह स्पष्ट होना जरूरी था। साथ ही यह भी स्पष्ट होना जरूरी है, उसमें ऐसा कौन सा व्यक्ति बैठा जिसे मुफ्त में ड्राइवर ने चंडीगढ़ पहुंचा दिया। यह सारी बातें अभी तक रहस्यमयी परिस्थिति में है। ध्यानार्थ है परिचालक दिव्यांग है तथा अपनी मेहनत और लगन से पिछले 2 सालों से विभाग में कार्यरत है। दिव्यांग होने के बावजूद जिसका पैर-हाथ के लगातार ऑपरेशन हो रहे हैं। फिर भी वह अपनी दिव्यांगता से जूझता हुआ अपने फर्ज को पूरा कर रहा है।
बावजूद इसके चालक इस परिचालक को रास्ते में छोड़ कर के बस लेकर भाग जाता है। यही अपने आप में बहुत बड़ा प्रश्नवाचक चिन्ह है और उससे बड़ा प्रश्नवाचक चिन्ह है कि आरएम विवेक लखनपाल ड्राइवर को बचाने में लगा हुआ है। सोशल वालंटियर ऑर्गेनाइजेशन ने विवेक लखनपाल की कार्यशैली की कड़े शब्दों में निंदा की है और कहा है कि सारे घटनाक्रम के लिए विवेक लखनपाल ही व्यक्तिगत तौर पर जिम्मेदार है।
अगर विवेक लखनपाल ने 7 दिनों के अंदर-अंदर ड्राइवर के खिलाफ कड़ी कार्रवाई अमल में नहीं लाई तो सोशल वालंटियर ऑर्गेनाइजेशन नेचुरल डिसएबल एसोसिएशन के साथ मिलकर चक्का जाम करने में सहयोग करेगा, जिसके लिए एचआरटीसी डिपो के क्षेत्रीय प्रबंधक विवेक लखनपाल जिम्मेदार होंगे। ध्यानार्थ है कि विवेक लखनपाल के आने से बस डिपो निरंकुशता का शिकार हो गया है तथा नियम और कानून की सरेआम धज्जियां उड़ उड़ाई जा रही हैं।
एसबीओ संगठन के प्रदेश अध्यक्ष संजीव नागवान उपाध्यक्ष बलविंदर सिंह, महासचिव गीता सिंह,प्रेस सचिव संजय कुमार, कोषाध्यक्ष अमित कुमार तथा सुनील आदि ने हमीरपुर के उपमंडल अधिकारी अवतार सिंह जी से से आग्रह किया है कि एचआरटीसी का चक्का जाम करने के लिए आरएम हमीरपुर स्वयं उत्तरदायी होंगे। शीघ्र ही आरएम हमीरपुर के खिलाफ जनहित याचिका कोर्ट में दायर की जाएगी साथ ही ड्राइवर के खिलाफ डिसएबल एक्ट आरपीडब्लूडी आर पीडब्लूडी एक्ट- 2016 के तहत सीधा मुकदमा दर्ज करवाया जाएगा। ताकि दिव्यांगों के मान सम्मान एवं स्वाभिमान की रक्षा की जा सके और भविष्य में इनके प्रति होने वाले अन्याय से इन्हें बचाया जा सके।
हैरानी है कि प्रदेश सरकार तथा केंद्र सरकार दिव्यांगों के लिए मूलभूत सुविधाओं का सृजन कर रही है। उन्हें मुख्य श्रेणी में डालने के लिए प्रयासरत है। उन्हें हीन भावना से मुक्त करने के लिए नौकरियों में आरक्षण दे रही है परंतु विवेक लखनपाल जैसा अधिकारी दिव्यांगों के उत्पीड़न पर मूक स्वीकृति प्रदान कर रहा है जो अपने आप में निंदनीय है।