सोलन (एमबीएम न्यूज) : सोलन के चंबाघाट स्थित राष्ट्रीय खुंब अनुसंधान एवं प्रशिक्षण केंद्र में गुरूवार को राष्ट्रीय स्तर का 18वां मशरूम मेला आरंभ हुआ। इसका शुभारंभ भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद की गवर्निंग कमेटी सदस्य सुरेश चंदेल ने विधिवत किया। राष्ट्रीय स्तर के इस मशरूम मेले में देशभर से सैंकड़ों मशरूम उत्पादकों, विज्ञानिकों एवं किसानों ने भाग लिया। इस मौके पर मशरूम उत्पादन में उत्कृष्ट कार्य करने वाले प्रगतिशील किसानों को समानित भी किया गया।
चंबाघाट में आरंभ हुए राष्ट्रीय स्तर के मशरूम मेले में उपस्थित लोगों को संबोधित करते हुए मुख्यातिथि सुरेश चंदेल ने बताया कि बटन मशरूम की खेती भारत में सर्वप्रथम सोलन में सन् 1961 में शुरू की गई थी जिसके फलस्वरूप भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद द्वारा राष्ट्रीय खुंब अनुसंधान एवं प्रशिक्षण केन्द्र की स्थापना सन 1983 में की गई। उन्होंने बताया कि 1997 से भाकृअनुप-खुंब अनुसंधान निदेशालय ने 10 सितंबर को, जिस दिन सोलन को ‘भारत का खुंब शहर‘ घोषित किया गया था, तभी से लगातार मशरूम मेले के रूप में मना रहा है।
इस मेले में देश के विभिन्न प्रदेशों से किसान शमिल होते आए हैं। उन्होंने कहा कि शाकाहारी लोगों के लिए खुंब विटामिन डी का एकमात्र स्रोत है। खुंब में कम वसा, कम शक्कर व अधिक रेशे होने की वजह से यह मधुमेह व मोटापे से ग्रस्त लोगों के लिये अति उत्तम भोजन है। स्टार्च की मात्रा न होने के कारण मशरूम मधुमेह के रोगियों के लिए बहुत फायदेमंद है। सुरेश चंदेल न निदेशालय के वैज्ञानिकों को उनके कार्य के लिए सराहा तथा उन्होंने कहा कि कृषि को मीडिया में उचित स्थान अभी तक नहीं मिला है। उन्होंने देश के मीडिया से अनुरोध किया कि खुंब के औषधीय गुणों का प्रचार करें तथा खुंब के बारे में प्रचलित भ्रांतियों को दूर करने हेतु कार्य करना चाहिए।
समारोह में विशिष्ट अतिथि के रूप में भाग लेने पहुंचे डा. टीएन लखनपाल ने बताया कि वह इस निदेशालय से शुरू से ही जुड़े रहे हैं। उन्होंने इस निदेशालय की उपलब्धियों एवं खुंब उत्पादकों के योगदान को सराहा। उन्होंने बताया कि चीन में मानव संसाधन का प्रयोग बहुत अच्छी तरह से किया गया जिसके कारण चीन आज खुंब उत्पादन में प्रथम स्थान पर है। डा. लखन पाल से कहा की देश में खुंब उत्पादन की प्रगति की अपार संभावनाएं हैं और यह तभी संभव है जब वैज्ञानिक एवं खुंब उत्पादाकों में समांजस्य हो।