सुंदरनगर/नितेश सैनी
उपमंडल सुंदरनगर के एकमात्र प्राचीन मंदिर से भगवान जगन्नाथ बलीभद्र व लक्ष्मी सहित अपने दो दिनों के प्रवास पर जंगमबाग विराज गए हैं। आषाढ़ मास के 2 प्रविष्टे से ओडिशा के पुरी में मनाए जाने जगन्नाथ पर्व की तर्ज पर सुंदरनगर में भी जगन्नाथ यात्रा महोत्सव धूमधाम से मनाया जाता है। जानकारी देते हुए भगवान जगन्नाथ मंदिर हंडेटी के पुजारी रूपेश शर्मा ने कहा कि इस प्राचीन मंदिर का निर्माण 250 वर्ष पूर्व हुआ था। उन्होंने कहा कि मंदिर में भगवान जगन्नाथ की मूर्ति चंदन की लकड़ी से निर्मित है।
उन्होंने कहा कि मान्यतानुसार इस मूर्ति को बेचने के लिए एक फकीर ओडिशा के तट से सुंदरनगर लाए थे। उन्होंने कहा कि इस मूर्ति को बेचने के लिए सुकेत (सुंदरनगर) कोर्ट में सुनवाई के दौरान 500 रूपए का प्रस्ताव रखा गया। लेकिन फकीर ने मूर्ति को कुल्लू ले जाकर एक हजार रूपए में वहां के राजा को बेचने को लेकर मना कर दिया गया।
उन्होंने कहा कि फकीर के कुल्लू रवाना होने से पहले ही मृत्यु हो गई। सुकेत के तत्कालीन राजा के आदेशानुसार मूर्ति को एक भवन में स्थापित कर दिया गया। उन्होंने कहा कि मूर्ति के पूजन के लिए एक पुजारी का चयन किया गया और मंदिर निर्माण के लिए राजकीय कोष से 500 रूपए खर्च कर भूमि प्रदान की गई।
रूपेश शर्मा ने कहा कि इस मूर्ति में नाक, मुंह, आंखें और हाथ (बिना उंगलियों के) दिखाई देते हैं। भगवान जगन्नाथ की दाहिनी ओर बलिभद्र व बाईं ओर लक्ष्मी की मूर्ति विराजमान हैं। मंदिर में अन्य छोटी मूर्तियां शालीग्राम सहित भी मौजूद हैं। हर वर्ष की भांति इस वर्ष भी पुराना बाजार के हंडेटी स्थित भगवान जगन्नाथ मंदिर से जंगमबाग तक प्रभु के साथ लोग रथ को खिंच कर पुण्य के भागीदार बने। शनिवार को भगवान जगन्नाथ दो दिन के प्रवास के उपरांत लक्ष्मी नारायण मंदिर जंगमबाग से अपने मूल प्राचीन मंदिर में बलिभद्र व लक्ष्मी सहित वापिस लौट जाएंगे।